उत्तराखंड की संस्कृति से रुबरु होंगे उत्तर-पूर्वी राज्यों के सैकड़ों कलाकार

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  • पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने ढोल की थाप के साथ किया प्रतिष्ठित उत्सव ऑक्टेव-2020 का शुभारंभ

क्रांति मिशन ब्यूरो

श्रीनगर। प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा 20 से 22 मई तक आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित उत्सव ऑक्टेव-2020 का ढोल की थाप के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। महाराज ने आज रामलीला मैदान में तीन दिवसीय उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित उत्सव अॉक्टेव-2022 का ढोल की थाप के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ करते हुए इसके लिए लिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के बाद पहली बार इस प्रकार का आयोजन होने से पूरे वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा और लोग कोरोना के भय को भुला पायेंगे।

महाराज ने कहा कि उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित होने वाले इस प्रतिष्ठित उत्सव ऑक्टेव-2022 के आयोजन में उत्तर पूर्व क्षेत्र के कलाकारों और कारीगरों को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक सही मंच प्रदान करने के लिए संस्कृति मंत्रालय , भारत सरकार द्वारा “ऑक्टेव फेस्टिवल ऑफ द नॉर्थ ईस्ट” की शुरुआत की गई थी। इस क्षेत्र में आठ राज्य शामिल हैं असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर और सिक्किम। इसलिए इसका नाम ऑक्टेव रखा गया। चूँकि शेष भारत उत्तर पूर्वी राज्यों की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और कलात्मक अभिव्यक्तियों से पर्याप्त रूप से परिचित नहीं है, शायद दूरी और भौगोलिक सीमाओं के कारण, ऑक्टेव फेस्टिवल ने लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया है। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, ऑक्टेव उत्सव जेडसीसी द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने सदस्य राज्यों में से एक में आयोजित किया जाता है।

महाराज ने कहा कि इस वर्ष उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला ने इस प्रतिष्ठित उत्सव ‘ऑक्टेव -2022 को 20 से 22 मई, 2022 तक श्रीनगर, उत्तराखंड में आयोजित करने का निर्णय लिया गया जो हमारे लिए सौभाग्य की बात है। भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों के लगभग 250 कलाकार इस उत्सव में भाग ले रहे हैं। इस सांस्कृतिक आयोजन में बीहू, बरडोई नृत्य असम, पुंग चोलम और ढोल चोलम मणिपुर, लाई हरूबा और थांगटा मणिपुर, होजागिरी त्रिपुरा, सिंघी छम्म सिक्किम, तमांग सेलो सिक्किम, युद्ध नृत्य नागालैंड, एफिलो कुघू मुगियंता नागालैंड, रिकम्पादा अरुणाचल प्रदेश, ब्रोजाई अरुणाचल प्रदेश, का शाद मस्तीह/होको मेघालय, वांगला नृत्य मेघालय, मिजोरम आदि नृत्य शामिल हैं।

महाराज ने कहा कि देश के इस हिस्से के लोगों, खासकर युवाओं और छात्रों को पूर्वोत्तर के उल्लास का जश्न मनाने का दुर्लभ अवसर मिल रहा है। इससे उत्तर-पूर्वी राज्यों के सैकड़ों कलाकार भी उत्तराखंड की संस्कृति का अनुभव कर सकेंगे।

इस मौके पर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की निदेशक  दीपिका पोखरना, कार्यक्रम संयोजक राकेश भट्ट, जगजीत सिंह एवं जनरेल सिंह सहित बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे।