कूर्मांचल सास्कृतिक एवं कल्याण परिषद का दीपावली मेला … महिलाओं द्वारा पारंपरिक गेरू बिस्वार से ऐंपण व गन्ने से बनाई मॉ महालक्ष्मी की मनमोहक प्रतिमा रहे आकर्षण का केंद्र

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क्रांति मिशन ब्यूरो

देहरादून।  कूर्मांचल सास्कृतिक एवं कल्याण परिषद का तीन द्विवसीय दीपावली मेले के आयोजन में आज द्वितीय दिन परिषद की महिलाओं द्वारा पारंपरिक गेरू बिस्वार द्वारा ऐंपण व गन्ने द्वारा महालक्ष्मी निर्माण, प्राण प्रतिष्ठा, कीर्तन भजन का कार्यक्रम कूर्माचल परिषद के एम एस रोड़ स्थित कूर्माचल भवन जिसकी मुख्य अतिथि पार्षद समीधा गुरुंग द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कूर्माचल परिषद की सभी शाखाओं की महिलाओं व बच्चों ने उत्साह से कूर्माचल भवन में पारंपरिक एपेड़ बनाकर अपनी सँस्कृति अपनी पहचान के संरक्षण का संकल्प लेते हुए पारम्परिक एपेड मुख्यतः शुभ कार्य नए कार्य का आरम्भ विभिन्न चौकियों का आलेखन जैसे आचार्य चौकी,सूर्य चौकी, लक्ष्मी चौकी, शिव पीठ, नौ बिन्दु स्वास्तिक, जनेऊ चौकी, धुलियर्घ्य चौकी, सरस्वती चौकी, भद्र आदि अनेक आलेखनो से प्राकृतिक लाल गेरू ओर बिस्वार से सजाया गया। दहेली दही दहलीज मंदिर में वसुंधरा बनाई गई जो मुख्यतः 11,9, 7 रेखाओं से बनती है चावल को 1 दिन पहले भीगा कर पीस दिया जाता है जिस विस्वार कहा जाता है इसके बाद रोली पीठाइ का उपयोग कर जाता है और देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है।

केंद्रीय सांस्कृतिक सचिव बबिता साह लोहनी ने बताया कि पारंपरिक ऐपण में उत्तराखंड में खासकर कुमाऊं में धरातलीय ऐपण और लिखथाप (दीवार सजाने की कला) कुमाऊं में किसी भी मांगलिक कार्य के अवसर पर अपने घरों को ऐपण द्वारा सजाने की पुरानी परंपरा रही है। अपने घरों के आंगन से लेकर मंदिर तक प्राकृतिक रंगों, गेरू एवं पिसे हुए चावल के घोल विश्वार से विभिन्न आकृतियां बनाई जाती हैं। दीपावली में बनाए जाने वाले मां लक्ष्मी के पैर घर के बाहर से अंदर की ओर धरातल पर गेरू बिस्वार से बनाए जाते हैं। ऐपण चित्रकला कार्य भाग्य और परिजन प्रजनन क्षमता से जुड़ा एक पारंपरिक कला कलात्मक रूप भगवान को प्रसाद चढ़ाने जैसा है इस कला में विश्व विषम संख्या में रेखाओं का प्रयोग किया जाता है पारंपरिक ऐपण को भौगोलिक संकेत जी टैग मिला हुआ है जो एक ऐसी स्थिति है जो किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित उत्पादक को उत्पाद को दिया दी जाती है। आज के कार्यक्रम को सफल बनाने में सौ से अधिक महिलाओं ने प्रतिभाग किया। महालक्ष्मी निर्माण के पश्चात महिलाओं ने सभी देवी देवताओं के विभिन्न मंगल गीत के साथ कुमाऊनी भजनों की प्रस्तुतियां दी। सबसे पहले गणेश जी के शकुनाकर के साथ शकुन दे और देना हो या खुली का गणेश है गया गया उसके बाद माता के विभिन्न भजन सुरा सुरा देवी को मंदिर जरा ढोलक बजे देते जरा चिमटा बजे द मकी मन मंदिर जाना कीर्तन कर दे गड़ा कुमाऊं के बीच में बैठी होली दुर्गा भवानी पैर पैर गोरा तू सच बता दे पार्वती आदि विभिन्न भजनों की प्रस्तुति के साथ महिलाओं ने झूम के झूठ और नाच के मां लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त किया।

कार्यक्रम में केंद्रीय अध्यक्ष कमल रजवार, महासचिव गोविंद पांडे, हरि सिंह बिष्ट, नवीन तिवारी, एस एस ठटोला, राजेंद्र पन्त, प्रेमा तिवारी, प्रेमलता बिष्ट, सुनीता भंडारी, हंसी धामी, मंजू देउपा, शर्मिष्ठा कफलिया, पुष्पा भट्ट, मंजू फर्त्याल, हेमा परिहार, कांता बिष्ट, रुक्मणी चौधरी, माया साह, कुसुम पिलख्वाल चंद्रा कथैत, हेमा जोशी, कमला उप्रेती, शोभा जोशी, दीपा जोशी दीपा भंडारी, सोनू जोशी, कमला रावत ,भावना बिष्ट ,पूजा भंडारी, उमा बिष्ट, प्रियंका जोशी, कविता , भारती, संवाद प्रियांशी, नीलम, पुष्पा कोठारी, निकिता कोठारी ,दीपा धामी, सीमा भट्ट, सीमा, सोनू जोशी, कमला जोशी, बीना जोशी, अंजू नेगी, सुमन बिष्ट, ममता जोशी आदि ने प्रतिभाग किया।