काश! कि ऐसा लालच सबको हो … सीएम धामी के लिए चंपावत सीट छोडने वाले कैलाश गहतोडी को है ‘लालच’ … जरूर पढें

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भुवन उपाध्याय
देहरादून। ‘लालच’ इनसान से क्या-क्या नहीं कराता है। लोग लालच में अपने सगे-संबंधियों तक का हक मार लेते हैं। लेकिन यहां पर ‘लालच’ किसी का हक मारने के लिए नहीं बल्कि ‘हक’ देने के लिए हो गया। अब आप सोचंेगे कि आज ‘लालच’ को लेकर इतना पाठ क्यों पढाया जा रहा है। यह भी सोच रहे होंगे कि ‘हक’ देने वाला ‘लालच’ आखिर क्या हो सकता है। जी… आपको बताते हैं … उत्तराखंड के विकास के लिए सर्वजनहित में लालच किया है चंपावत से विधायकी छोडकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी ‘विरासत’ को त्यागने वाले कैलाश गहतोडी ने। कैलाश गहतोडी को लालच हो गया। हमने भी पाया कि कैलाश गहतोडी ‘लालची’ हैं। अब कहेंगे … उन्होंने तो त्याग किया। अब आप इसे जो भी नाम दें लेकिन हमने इसकी परख की … पूर्व विधायक कैलाश गहतोडी को चंपावत के विकास का लालच हो गया, उन्हें उत्तराखंड को आगे बढाने का लालच हो गया। काश! … कि ऐसा लालच हमारे सभी जनप्रतिनिधियों को हो जाता तो राज्य तरक्की कर जाता।
कैलाश गहतोडी ने अपनी जीती हुई सीट को त्याग दिया। इसलिए कि चंपावत वालों के विकास के लिए जो सपना उन्होंने देखा है वह पूरा हो सके। उत्तराखंड के विकास के सपनों को पंख लग सकें। ईश्वर करें … गहतोडी जैसा ‘लालच’ सबको हो जाये।

बहुत परीश्रम से मिलती है ‘विधायकी’

ऐसा नहीं कि विधायकी यूं ही मिल जाती है। पहले तो पार्टी से टिकट के लिए एडियां रघडनी पडती हैं। फिर क्षेत्र की जनता का भरोसा जीतना पडता है। विरोधी भी हर पल कांटे बिछाये रहते हैं कि कब ‘लपेटें’। लोग विधायकी का टिकट नहीं मिलने पर पार्टी को छोडते भी हैं और जिसकी वर्षों से तारीफ करते आ रहे हैं उसकी ऐसी-तैसी भी करने से नहीं चूकते।