मार्गदर्शन व परामर्श सेमिनार : वक्ता बोले – विकसित नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के प्रति जागरूकता, समझ और प्रतिबद्धता की जरूरत है, जिसे कक्षा कक्ष तक लाया जाना आवश्यक है

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क्रांति मिशन ब्यूरो

बनबसा, चंपावत। “सहयोग फाउंडेशन” द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) के सीमांत जिलों में विज्ञान संचार को बढ़ावा दे रहे कार्यक्रमों से प्रेरणा लेते हुए संसाधन विहीन डेविड पेंटर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गुदमी हाईस्कूल, बनबसा चंपावत में बच्चों के लिए मार्गदर्शन व परामर्श सेमिनार का आयोजन किया। यह आयोजन प्रोजेक्ट बेयोंड एडुकेशन तथा “शैक्षिक दखल” के तत्वावधान में संपन्न हुआ।

सेमिनार के लिए हल्द्वानी से आमंत्रित मुख्य वक्ता शिक्षाविद व ट्रेनर आर एन ठाकुर द्वारा विद्यालय के 160 बच्चों व 06 शिक्षकों को जीवन कौशल, वैयक्तिक स्वास्थ्य, समय प्रबंधन, क्षमता, रूचि व अनुभव के अनुकूल भविष्य की शिक्षा व सामाजिक जीवन के लिए जरूरी कौशलों के विकास पर लेक्चर की शुरुआत बड़े उत्साह के साथ की गई। उन्होंने कहा कि हमारी भावी पीढ़ियों के लिए जीवन की सुंदरता और समृद्ध बचपन सबसे जरूरी होना चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक निर्मल न्योलिया ने शिक्षकों को आह्वान किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में विकसित नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के प्रति जागरूकता, समझ और प्रतिबद्धता की जरूरत है, जिसे कक्षा कक्ष तक लाये जाने की जरूरत है।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रिंसिपल अतुल कुमार के स्वागत उद्बोधन से हुआ। जिन्होने कहा कि जीवनयापन के लिए कौशल महत्वपूर्ण हैं।

सहयोग फाउंडेशन के तकनीकि सलाहकार विपुल भट्ट ने अध्यक्षा अंजु भट्ट का संदेश बच्चों को दिया कि विज्ञान शिक्षा स्थानीय समुदायों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। हमें व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर काम करना होगा ताकि हमारे सीमांत के बच्चों को सही मार्गदर्शन मिल सके। उन्होंने कहा कि हमें एकजुट होकर ठाकुर सर द्वारा सुझाई गई जीवन कौशल की इस सकारात्मक पहल का हिस्सा बन कर समस्याओं के बजाय समाधानों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

इस मौके पर “प्रोजेक्ट बेयोंड एडुकेशन” के सूरज पंत, सौरभ सिंह, किशन सिंह गुरंग तथा विद्यालय के शिक्षक अनिता ज्याला, तनुजा बिष्ट, सुनीता चंद, उषा लोहिया, यशोदा बोरा, कार्यालय कर्मी जीवन सिंह, आशीष कलौनी तथा शेर सिंह उपस्थित रहे। मंच संचालन कविता जोशी ने किया।