हिंदी भाषा का वैश्वीकरण विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय हाइब्रिड संगोष्ठी में वक्ता बोले – अन्य भाषाओं के प्रति जो प्रेम है वह अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति भी दिखाना होगा तभी जाकर हिंदी विश्व की भाषा बन पाएगी

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क्रांति मिशन ब्यूरो

यमकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल। महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी, यमकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल एवं विश्व संवाद केंद्र उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान मे आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हाइब्रिड संगोष्ठी, विषय- हिंदी भाषा का वैश्वीकरण। द्वितीय दिवस के तकनीकी प्रथम सत्र में प्रोफेसर प्रभात द्वेदी प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय, चिन्यालीसौड़ मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा जो विकास हो रहा है वह पुरे विश्व में लगातार होता रहेगा। अन्य भाषाओं के प्रति जो प्रेम है वह अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति भी दिखाना होगा तभी जाकर हिंदी विश्व की भाषा बन पाएगी। अन्य वक्ताओं में रेखा राजवंशी जो ऑस्ट्रेलिया से थी उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में ऐसे छह विश्वविद्यालय हैं जहां पर हिंदी को एक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है और यह भी बताया कि उन्होंने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी तैयार किया है। इसी सत्र में सुनीता वर्मा जो अमेरिका से थी उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा की अमेरिका में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए 5 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को हिंदी सिखाने के लिए कक्षाएं संचालित की जा रही है। श्रीमती सुनीता नारायण जो नूज़ीलैण्ड से थी उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी को केवल पढ़कर नहीं सीखा जा सकता उसके वैश्विक प्रचार प्रसार के लिए हमें हिंदी को बोलना वह लिखना भी पड़ेगा। इसी सत्र में वक्ता डॉक्टर रमेश चंद्र शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी भाषा के उत्थान के लिए नूज़ीलैण्ड में हिंदी भाषी विद्वान निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने अपने वक्तव्य में हिंदी वैश्वीकरण के समक्ष आ रही चुनौतियों और समाधान पर प्रकाश डाला। सत्र की सभापति प्रोफ़ेसर गीता सिंह, निदेशक सी०पी०डी०एच०ई दिल्ली विश्विधालय थी और इस सत्र का संचालन उपसभापति डॉक्टर उमेश त्यागी द्वारा किया गया। इसके पश्चात चतुर्थ सत्र प्रारंभ हुआ, इस सत्र के सभापति प्रोफेसर प्रभात द्विवेदी और कार्यक्रम का संचालन उपसभापति डॉ राम सिंह सामंत द्वारा किया गया। सत्र की मुख्य वक्ता डॉक्टर इंदु बारोठ रही जो लंदन(ब्रिटैन) से थी उन्होंने हिंदी भाषा के वैश्वीकरण के संबंध में बोलते हुए कहा कि विदेश में हिंदी को पढ़ना एक चुनौती पूर्ण कार्य है लेकिन हिंदी भाषा के माध्यम से हम अपनी संस्कृति को विदेश में भी बढ़ा सकते हैं और इसके लिए हम कार्य भी कर रहे हैं। इसके पश्चात प्रवीन लता जो फिजी से थी उन्होंने अपना वक्तव्य दिया उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी भाषा ने संस्कृति के प्रचार प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उन्होंने यह भी बताया कि फिजी में हिंदी साहित्य का निरंतर प्रचार प्रसार हो रहा है और फिजी के हिंदी साहित्य ने गिरमिटिया समाज की समस्याओं को उजागर करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसके बाद श्री प्रवेश कुमार त्रिपाठी ने हिंदी भाषा के वैश्वीकरण के परिपेक्ष्य में अपना वक्तव्य रखा और कहा कि आज का जो समाज है वह सोशल मीडिया से प्रभावित है उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम अपनी अभिव्यक्ति को सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया के सम्मुख रख सकते हैं तो इसे हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार बढ़ेगा। इस सत्र का समापन प्रोफेसर प्रभात द्विवेदी जी के वक्तव्य से हुआ। उन्होंने सभी वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस द्वि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय हाइब्रिड संगोष्ठी के समापन सत्र के मुख्य अतिथि श्री तपन कुमार, सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख, उत्तराखंड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ रहे और विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर वी. एन.खाली प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग थे।

प्रोफेसर वी एन खाली जी ने कहा कि हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रयास किया जाना अत्यंत आवश्यक है। हमें संपूर्ण देश को जोड़ने वाली हिंदी भाषा के प्रति लोगों के नजरिए को बदलना होगा। इसके पश्चात सत्र के वक्ता डॉ विपिन कुमार शर्मा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी भाषा को लेकर जो कार्य नूज़ीलैण्ड, अमेरिका, फिजी, ब्रिटैन इत्यादि देशों में किया जा रहे हैं उससे हिंदी को विश्व स्तर पर एक नई पहचान मिल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य केवल किताबों में नहीं होता साहित्य हमारे पूर्वजों की परंपराओं में भी निहित होता है और इस भारतीय साहित्य को विश्व स्तर तक पहुंचाने के लिए हमें हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार और अधिक करना होगा। इसके पश्चात त्रिनिदाद और टोबेगो से इंद्राणी रामप्रसाद वक्ता रही जिन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो में हिंदी भाषा को लेकर किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने ये भी बताया कि त्रिनिदाद मैं रामचरितमानस का पाठ भी कराया जाता है लेकिन सामान्य बोलचाल में हिंदी का प्रयोग वहां नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि हम प्रयासरत हैं कि हिंदी को बोलचाल की भाषा भी बनाया जाए। इसके पश्चात डॉक्टर सुशील कोटनाला ने अपने वक्तव्य में हिंदी साहित्य की जो लोकप्रियता बढ़ रही है उस विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। नितिन जगबंधन जो सूरीनाम से थे उन्होंने बताया कि भारत के अतिरिक्त फिजी, सूरीनाम जैसे देशों में भी हिंदी भाषा का प्रचलन है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय दूतावास किस प्रकार वहां पर हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए प्रयासरत है। अंत में इस सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुशील उपाध्याय प्राचार्य, चमन लाल महाविद्यालय, रुड़की ने अपने संभाषण में बताया कि कैसे हिंदी में रचनात्मक लेखन में ए०आई० टूल्स की क्या भूमिका है और हिंदी भाषा के वैश्वीकरण में इन टूल्स की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। आभाषी माध्यम से संगोष्ठी में जुड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तराखंड के प्रान्त प्रचार प्रमुख संजय विक्रांतवीर(संगोष्ठी के सलाहकार) ने चैटबॉक्स में लिखा कि विश्व हिन्दू परिषद् की स्थपना में त्रिनिदाद का क्या योगदान रहा है। समापन सत्र के मुख्य अतिथि श्री तपन कुमार जी रहे उन्होंने भी अपने वक्तव्य में हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला और उसके प्रचार प्रसार के लिए हम क्या कर सकते हैं और हमें क्या करना चाहिए यह भी बताया।

कार्यक्रम का समापन प्राचार्य प्रोफेसर योगेश शर्मा ने संयोजक श्रीमती पूजा रानी, आयोजन सचिव डॉ० गिरिराज सिंह और आयोजन समिति के सभी सदस्यों की सराहना करते हुए उन्होंने सभी राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं का और सभी शोधार्थियों का जिन्होंने अपने शोध पत्र का वाचन किया व् सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और साथ ही द्वि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय हाइब्रिड संगोष्ठी सफलता पर पूरे महाविद्यालय परिवार और संयोजक श्रीमती पूजा रानी, आयोजन सचिव डॉ० गिरिराज सिंह व आयोजन समिति को भी धन्यवाद ज्ञापित किया।