क्रांति मिशन ब्यूरो
असम/देहरादून। राष्ट्रपति के कर-कमलों से गज उत्सव 2023 का रंगारंग आगाज व उद्घाटन काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव, केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे, असम के राज्यपाल गुलाब चन्द कटारिया, मुख्यमंत्री हेमन्त विश्व सर्मा, राज्य के वन मंत्री चन्द्र मोहन पटोवारी व राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की ओर से प्रतिभागिता रही। उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल इस आयोजन में शामिल होने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में प्रकृति और संस्कृति के परस्पर पोषण को उद्धृत करते हुए देश की परंपरा में हाथियों को सम्मान व इसे समृद्धि का प्रतीक बताया। देश की राष्ट्रीय धरोहर को संरक्षित करना सभी की राष्ट्रीय जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है।
उन्होंने ने कहा कि हाथी अभ्यारण वाले जंगल और हरित क्षेत्र प्रभावी कार्बन अवशोषक होते हैं। हाथियों का संरक्षण करने से सभी को लाभ प्राप्त होने और इसे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मददगार बताया। इन कोशिशों के लिए सरकार और समाज, दोनों की सामूहिक भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया ।
मानव-हाथी संघर्ष’ के विचाराधीन ज्वलंत मुद्दे पर संघर्ष का कारण – हाथियों के प्राकृतिक आवास या आवागमन में उत्पन्न होने वाली बाधाओं को इनका मूल कारण बताया व उसके लिए, इस संघर्ष के मानव समाज जनित कारणों को कम करने की आवश्यकता बताई है। हाथी परियोजना का मुख्य उद्देश्य हाथियों की रक्षा करना, उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना और हाथी गलियारों को बाधा मुक्त बनाना है। मानव-हाथी संघर्ष की समस्याओं का समाधान करना भी इस परियोजना का एक उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि ये सभी उद्देश्य आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि हाथी परियोजना वाले राज्यों में उत्तराखण्ड भी शामिल है। इस दृष्टि से गज उत्सव में राज्य की प्रतिभागिता महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड राज्य की ओर से वन्य-जीव संरक्षण के लिए प्रभावी उपायों के साथ मानव-वन्य जीव संघर्ष के न्यूनीकरण की निरन्तर पैरवी की जाती रही है।