- सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया … 49 करोड़ के ब्याज माफी दी
- सहकारिता विभाग के गठन से लेकर 2017 तक के हैं मामले
क्रांति मिशन ब्यूरो
देहरादून। सहकारिता विभाग के गठन से लेकर वर्ष 2017 तक सहकारी समितियों के 31,221 मृतक बकायेदारों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है। विभाग के अंतर्गत संचालित ओटीएस स्कीम के अंतर्गत सरकार ने मृत कर्जदारों का 49 करोड़ का कर्ज माफ करने का फैसला लिया है। जिससे मृतक कर्जदारों के परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी।
उत्तराखंड सरकार के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने आज सहकारिता विभाग के निबंधक को निर्देश दिए हैं कि अविभाजित उत्तर प्रदेश में सहकारिता विभाग के गठन से लेकर वर्ष 2017 तक कॉपरेटिव समितियों के अंतर्गत 31,221 मृतक बकायेदारों पर रूपये 123 करोड़ 40 लाख रुपये बकाया है। जिसमें 74 करोड़ 18 लाख रुपये मूलधन है तथा ब्याज का 49 करोड़ 22 लाख रुपये है। सरकार एक समझौते के तहत ब्याज माफ करने की विचार कर रही है।
डॉ रावत ने बताया कि, विभाग ने फैसला किया है कि 31221 मृतक बकायेदारों के लिए वन टाइम सेटेलमेंट, एकमुश्त समझौता योजना (ओटीएस ) स्कीम के तहत ब्याज के 49 करोड़ 22 लाख रुपये माफ किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिए विभाग मृतक परिवारों के परिजनों के बीच सर्वे कराएगा और कहा जाएगा कि वह इस फॉर्मेट में आना चाहते हैं या नहीं। उनसे सहमति पत्र भी लिया जाएगा कि, समितियों का मूल धन वह जमा करेंगे। डॉ रावत ने बताया कि, जिन समितियों का ब्याज का पैसा माफ किया जा रहा है उनकी भरपाई कॉपरेटिव बैंको के प्रॉफिट धन से और सरकार द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की न्याय पंचायत स्तर पर 670 बहुद्देशीय सहकारी समितियों को मजबूत किया जा रहा है।
उत्तराखंड सहकारिता विभाग का पहली बार मृतक बकायेदारों के परिजनों के लिए ओटीएस स्कीम के तहत यह बड़ा साहसिक फैसला है। अपर निबंधक सहकारी समितियां उत्तराखंड श्रीमती ईरा उप्रेती ने इस संबंध में मंत्री के आदेश पर जिला सहायक निबंधको को पत्र भेज कर कहा कि समितियों के मृतक बकायेदारों के परिजन 100 फीसदी ब्याज में छूट लेने की सूचना 15 मार्च तक दे सकते हैं।
गौरतलब है कि मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देश पर 2019 में सहकारिता के इतिहास में पहली बार ओटीएस योजना लाई गई थी। जिसमें कॉपरेटिव बैंकों के 21 करोड़ रुपये की वापसी हुई भी है। सरकार को उम्मीद है कि इससे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अपना कर्ज उतारने में आसानी होगी।