क्रांति मिशन ब्यूरो
देहरादून/हल्द्वानी। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और हिंदुओं पर लगातार हो रहे अत्याचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध देहरादून और कुमाऊं मंडल के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में जन सैलाब उमड़ पड़ा।
देहरादून में एक अभूतपूर्व विरोध मार्च निकालने से पहले रेंजर्स कॉलेज मैदान में एक विशाल जन सभा हुई। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर विश्व समुदाय को चेताते हुए कहा कि आज हम यहां एक महत्वपूर्ण और ज्वलंत मुद्दे अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए एकत्र हुए हैं। यह विषय केवल बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यकों का नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज की नैतिकता और न्याय का सवाल है।
अल्पसंख्यक समुदाय के साथ बांग्लादेश में जो अमानवीय घटनाएं हो रही हैं वो न केवल दिल दहलाने वाली हैं, बल्कि मानवाधिकारों के प्रति हमारी सामूहिक असफलता को भी उजागर करती हैं। हिंदू, बौद्ध, ईसाई, और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के घरों को जलाया जा रहा है। उनकी बहन-बेटियों पर हिंसा हो रही है। धार्मिक स्थलों पर हमले किए जा रहे हैं।ज़बरदस्ती धर्मांतरण और सामाजिक बहिष्कार जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
यह सिर्फ बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों की लड़ाई नहीं है, यह मानवता के मूलभूत मूल्यों की रक्षा की लड़ाई है। हमें यह समझना होगा कि यदि किसी एक जगह अन्याय होता है और हम चुप रहते हैं, तो यह अन्याय धीरे-धीरे पूरे समाज को घेर लेगा। विश्व उठे और बांग्लादेश सरकार को मजबूर करे। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को वास्तविकता की जांच की अनुमति दें। बांग्लादेश पर दबाव डालें कि वह अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन सक्रिय भूमिका निभाएं। हम सब संगठित होकर आह्वान देते हैं, एकजुट रहें और आवाज उठाते रहें।
सामाजिक और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर इस मुद्दे को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं। यह समय चुप रहने का नहीं है। यह समय एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ खड़े होने का है, हमें अपनी आवाज को इतना मजबूत बनाना होगा कि यह दुनिया के हर कोने तक पहुंचे और हर सरकार को यह समझना पड़े कि मानवाधिकारों की रक्षा करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। उत्तराखंड के सब नागरिक,समाज समस्त जातियों के संगठनों को आज एक जुट हो कर खड़ा होना होगा। सारे अहंकार सारे भेदभाव भुलाकर उस अमानवीय विचारधारा को परास्त करना होगा जो सहनशीलता और सहअस्तित्व के उलट मारकाट लूटपाट मतांतरण अत्याचार से किसी को शान्ति और प्रेम से रहना नहीं देना चाहती विश्व आज इस कट्टरपंथी सोच से त्रस्त है। लेकिन भारत अखंड ताकत के रूप में खड़ा है और बंगलादेश की अहसान फरामोश यूनुस सरकार को चेतना चाहिए अन्यथा बांग्लादेश का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
सभा में संत समाज के प्रमुख संन्यासियों, हठ योगी जी, दून उद्योग व्यापार मंडल, वाल्मीकि क्रांति मोर्चा, पंजाबी महासभा, ब्राह्मण समाज उत्थान परिषद, कुर्मांचल परिषद, गढ़वाल भ्रातृ मंडल, श्री गुरु सिंह सभा , गढ़वाल महासभा, सेवानिवृत्त कर्मचारी मोर्चा, केमिस्ट एसोसिएशन , स्कूल कर्मचारी मंच, महिला शक्ति वाहिनी, पेट्रोलियम डीलर संगठन और गोर्खाली सुधार सभा , पूर्व सैनिक संगठन, संयुक्त सरकारी कर्मचारी, बौद्ध महासभा, संयुक्त ब्राह्मण संगठन, गीता भवन, आर्यसमाज, क्षत्रिय संगठन, वैश्य अग्रवाल सभा, जैन सभा, सैनी समाज, पाल संगठन, जाटव शक्ति, संयुक्त पिछड़ा समाज संगठन, बार एसोसिएशन , संयुक्त मंदिर सनातन धर्म सभा, गुर्जर सभा, अखिल भारतीय जाट महासभा, पूर्वांचल संगठन बिहारी महासभा,सहित सैकड़ों संगठनों ने भाग लिया। इससे पूर्व गत एक सप्ताह में लाखो नागरिकों (स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान, विश्वविद्यालय, नागरिक संगठन, कर्मचारी संगठन, मन्दिर समितियों, मोहल्ला विकास समितियों, आध्यात्मिक योग संघों) ने मानवाधिकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और संकल्प लिया बंगलादेश और विश्व को न्याय के लिए उठ खड़े होने को कहा।
समस्त संस्थाओं ने संयुक्त रूप से आक्रोश मार्च निकाल कर जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति जी को ज्ञापन प्रेषित किया।