Wah : मुख्यमंत्री धामी के कामकाज और नेतृत्व कौशल के मुरीद हुए 91 साल के पूर्व फौजी, प्रशंसा में लिखी रचना … आप भी पढ़ें

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  • उम्र के इस पड़ाव में भी समाज और देश-प्रदेश के हित की सोचते हैं वयोवृद्ध पूर्व सैनिक खुशहाल सिंह बिष्ट

भुवन उपाध्याय

देहरादून। कहते हैं… जीवन में एक उम्र का ऐसा पड़ाव आता है, जब आप  सिर्फ अपने स्वास्थ्य के बारे में ही सोचते हैं। लेकिन बिरले ही होंगे जो 91 वर्ष आयु पूर्ण करने के बाद भी समाज और देश-प्रदेश के हित की सोचते होंगे। आज ‘क्रांति मिशन’ की ओर से आपको ऐसी शख्सियत (मेरे लिए धरोहर सी) के बारे में जानकारी दी जा रही है, जिससे आपको कुछ न कुछ अवश्य सीखने को मिलेगा।

नाम – खुशहाल सिंह बिष्ट, उम्र – 91 वर्ष, पूर्व सैनिक, निवास – दशमेशपुरी, वार्ड – 75, निकट सब्जी मंडी निरंजनपुर, देहरादून। यह परिचय इसलिए दे रहे हैं, चूंकि… पूर्व फौजी श्री बिष्ट उम्र के इस पड़ाव में भी नाम के अनुसार ‘खुश हाल’ यानी ‘जिंदादिल’ हैं। क्रांति मिशन के नियमित पाठक हैं, उत्तराखंड और देश-विदेश की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखते हैं व उस पर अपनी लिखित में स्पष्ट प्रतिक्रिया भी व्यक्त करते हैं।

पूर्व फौजी श्री बिष्ट अभी भी समाज और देश-प्रदेश के लिए समर्पित हैं और अपना सैनिक का कर्तव्य निभा रहे हैं। आपको ‘क्रांति मिशन’ के ताजा अंक यानी 10 मार्च 2024, दिन रविवार की खबर पर उनके द्वारा दी गई प्रतिक्रिया को दिखाते हैं, कि कैसे एक पूर्व फौजी जो कि 91 साल आयु के हैं और समाज और देश के लिए सजग रहकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पूर्व सैनिक के पुत्र हैं, जब से वह उत्तराखंड के मुखिया बने हैं, पूर्व फौजी श्री बिष्ट सीएम के द्वारा राज्यहित और जनहित में कौन से कार्य किए जा रहे हैं, उन पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। क्रांति मिशन को लगातार मुख्यमंत्री धामी के कामकाज पर त्वरित प्रतिक्रिया भेजते हैं। सीएम धामी के कामकाज और उनके नेतृत्व कौशल से श्री बिष्ट काफी प्रभावित हैं। मुझे भेजी प्रतिक्रिया में श्री बिष्ट ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के लिए कुछ पंक्तियां लिखी हैं, लीजिए आप भी पढ़ें …

“निसंदेह युवा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी अपने सच्चाई ईमान सेवा धर्म के रास्ते पर अग्रसर हैं इस संदर्भ में एक कविता के बोल …

पथ का अंतिम लक्ष्य नहीं है सिंहासन चढ़ते जाना, सब समाज को दिए साथ में आगे है बढ़ते जाना। इतना आगे इतना आगे जिसका कोई छोर ना हो, जहां पूर्णतः मर्यादा हो सीमाओं की डोर ना हो। सभी दिशाएं मिले जाती हैं इस अनंत नभ को पाना, सर्व समाज को लिए साथ में आगे है बढ़ते जाना, आगे है बढ़ते जाना।।”

श्री बिष्ट के रचनात्मकता पर आज मेरी पेन चल पड़ी। हमारा मानना है कि आपको भी श्री बिष्ट के एनर्जेटिक व्यक्तित्व से कुछ न कुछ लाभ अवश्य मिलेगा। श्री बिष्ट सतायु हों और उनकी सेहत बेहतर रहे, इस कामना के साथ हम उम्मीद करते हैं कि वह ‘क्रांति मिशन’ के सजग पाठक के रूप में अपनी प्रतिक्रियाएं भेजते रहेंगे, ताकि हमारा मनोबल ऊंचा बना रहे।

क्रांति मिशन का वह अंक जिस पर मिली प्रतिक्रिया