उत्तराखंड : कोरोना से दो-दो हाथ के लिये शरीर दान की प्रधानमंत्री से जताई इच्छा

शोध के लिये आगे आये संघ के स्वयंसेवक अमरनाथ जोशी

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भुवन उपाध्याय
हल्द्वानी/देहरादून। जानलेवा कोरोना वायरस से निजात पाने के लिये पूरा विश्व लगा हुआ है। भारत में भी कोरोना ने ‘जिंदगी’ को ठहरा दिया है। देश लॉकडाउन के संकट से गुजर रहा है। सरकार से लेकर सामाजिक संगठन इस संकट की घडी में अपनी-अपनी तरफ से आम जन के लिये कुछ न कुछ कर रहे हैं। ‘जीवन’ में आये संकट को बचाने के लिये उत्तराखंड के नैनीताल जनपद के हल्द्वानी (गौंजाजाली बिजली) निवासी राष्ट्रीय स्वयं संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक और वर्तमान में एकल विद्यालय अभियान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व देख रहे और सामाजिक कार्यकर्ता अमरनाथ जोशी (75 वर्ष) आगे आये हैं। श्री जोशी ने कोरोना वायरस पर शोध लिए अपना शरीर दान देने की अनुमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांगी है। प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर श्री जोशी ने औपचारिकता पूरी कराने की जानकारी मांगी है।
देश इन दिनों कोरोना वायरस से जूझ रहा है। श्री जोशी ने अमेरिकी नागरिकों की अपील से प्रेरित होकर अपना शरीर कोरोना वायरस के शोध के लिए देने का निर्णय लिया है। इससे पहले अमरनाथ जोशी 10 साल पहले अपना देहदान करने की घोषणा कर चुके है। उन्होंने बताया कि देश के करोड़ो लोगों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए वह अपना शरीर दान करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उनके शरीर पर कोरोना शोध को बनाई जा रही दवा का प्रयोग किया जाय।

पांच पुत्र, सभी को जोडा आरएसएस से और नित्य शाखा तक पहुंचाया

संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता अमरनाथ जोशी पुत्र स्व. बच्चीराम जोशी खुद वर्षों से राष्ट्रीय स्वयं संघ से तन-मन-धन से जुडे हुये हैं। हल्द्वानी के गौंजाजाली बिचली में निवासरत जोशी यहीं प्राथमिक पाठशाला गौंजाजाली में नित्य सुबह की शाखा लगाते आ रहे हैं। श्री जोशी के पांच पुत्र हैं। ज्येष्ठ पुत्र श्री दीप जोशी के अलावा कमल किशोर जोशी, भुवन जोशी, मनोज जोशी, मुकेश जोशी सभी को संघ की पाठशाला का ज्ञान पिता से घर पर ही मिला। सभी पुत्रों को संघ में नित्य शाखा लगाने के लिये वह खुद ले गये। देशभक्ति का उनके भीतर जो जज्बा था उसे परिवार तक पहुंचाने के लिये वे लगातार प्रयासरत रहे।

पत्नी मुन्नी जोशी भी बढ-चढकर करती हैं समाजसेवा कार्य

संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता अमरनाथ जोशी की धर्मपत्नी श्रीमती मुन्नी जोशी भी पति के नक्शेकदम पर चलीं। विवाह के बाद जब पति नित्य संघ की शाखा में जाया करते थे तो श्रीमती जोशी भी संघ की वीरांगना वाहिनी से जुडकर समाजसेवा से जुड गईं। श्रीमती मुन्नी देवी वीरांगना वाहिनी के साथ जुडकर समाजसेवा कार्य करते रहीं और पति के संघ कार्यों में भी सहयोग करते रही। समाजसेवा के साथ परिवार को भी उन्होंने शिद्दत से निभाया।