‘रंगोली पिछौड़ा’ … कुमाऊंनी सुहागिन महिलाओं का परिधान ही नहीं ‘गहना’ भी है

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क्रांति मिशन स्पेशल

भुवन उपाध्याय

देहरादून। कुमाऊं में रंगोली पिछौड़ा एक शादीशुदा महिला के  ‘गहना’ यानी सुहाग का प्रतीक है। परम्परा के अनुसार उत्सव और सामाजिक समारोहों और धार्मिक अवसरों पर रंगोली पिछौडा पहना जाता है। परिवार के बड़े सदस्य अपने यहां होने वाले प्रत्येक मांगलिक कार्यों पर इसका विशेष ध्यान रखते हैं। कई परिवारों में इसे विवाह के अवसर पर वधु पक्ष या फिर वर पक्ष द्वारा प्रदान किया जाता है।

विवाह के दिन बिटिया को रंगवाली पहनाकर विदा करने का है रिवाज

पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षों से सुहागिन महिलाओं द्वारा मांगलिक अवसरों पर गहरे पीले रंग की सतह पर लाल रंग से बनी बूटेदार ओढ़नी पहनने का ‘रिवाज’ यानी प्रचलन है। इस ओढ़नी को ही कुमाऊं में रंगोली पिछौड़ा या रंगवाली का पिछौड़ा कहते हैं। विवाह, नामकरण, त्यौहार, पूजन-अर्चन जैसे मांगलिक अवसरों पर बिना किसी बंधन के विवाहित महिलायें इसका प्रयोग करती हैं। मायके वाले विवाह के अवसर पर अपनी पुत्री को ये पिछौड़ा पहना कर ही विदा करते हैं। पर्वतीय समाज में पिछौड़ा इस हद तक रचा बसा है कि किसी भी मांगलिक अवसर पर घर की महिलायें इसे अनिवार्य रूप से पहनकर ही रस्म पूरी करती हैं।

सुहागिन महिला की मृत्यु पर भी रंगोली पिछौडा ओढाने की परंपरा

सुहागिन महिला की तो अन्तिम यात्रा में भी उसे रंगोली पिछौड़ा ओढाकर विदा करने की परंपरा है। कुमाऊं की लोक संस्कृति से जुड़े पिछौड़ा की लोकप्रियता ने आज दूसरे समाज की महिलाओं में भी अपनी जगह बनानी आरंभ कर दी है।

विशेष … कूर्मांचल परिषद का दिवाली मेला 20 को, सुहागिनों के लिये पिछौडा पहनना अनिवार्य

कूर्मांचल सांस्कृतिक परिषद के दिवाली मेले का आयोजन इस बार 20 अक्टूबर को हो रहा है। मेले की तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। परिषद के महासचिव चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि इस बार दिवाली मेले में सुहागिनों के लिये कुमाऊंनी मांगलिक परिधान रंगोली पिछौडा पहन कर आना अनिवार्य किया गया है।