ड्रग्स की खेप बरामद, तीन आरोपी दबोचे

नशे के खिलाफ अभियान चला रही देहरादून पुलिस को मिली सफलता

4407
47880

देहरादून। नशे के खिलाफ अभियान चला रही देहरादून पुलिस को बडी सफलता हाथ लगी है। ऋषिकेश में भारी मात्रा में लिसर्जिक एसिड डायथिलेमाइड (एलएसडी) ड्रग्स बरामद करने के साथ ही तीन आरोपियों को भी धर दबोचा है। बरामद माल की अंतरराष्ट्रीय कीमत लगभग 5,00,000 रूपये बताई जा रही है। एलएसडी ड्रग्स वर्तमान समय का अल्ट्रा मॉडर्न व सॉफिस्टिकेटेड ड्रग्स है जो मोस्ट पावरफुल साइकेडेलिक श्रेणी में आता है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती कुमार ने पुलिस अधीक्षक ग्रामीण सरिता डोबाल और सहायक पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी के साथ उत्तराखंड में पहली बार पकडे गए एलएसडी ड्रग्स के बारे में जानकारी दी। अभियान के दौरान प्रभारी कोतवाली व वरिष्ठ उप निरीक्षक हेमन्त खण्डूरी के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। टीम ने नशीले पदार्थांे की तस्करी व बिक्री करने वालों के सम्बन्ध में गोपनीय रूप से जानकारी एकत्रित की गई। 11 अक्टूबर को टीम, नशीले पदार्थो की बिक्री करने वालों की तलाश में त्रिवेणीघाट व मायाकुंड पहुंची तो नावघाट के पास रामानुज आश्रम के पास तीन व्यक्ति एक लोहे की बैंच में बैठे दिखाई दिये जो अचानक पुलिस को अपनी ओर आता देख मौके से खिसकने लगे। पुलिस टीम द्वारा सक्रियता दिखाते हुये तीनांे को पकड़ लिया। घबराकर तीनों ने बताया कि हमारे पास एलएसडी ड्रग्स, स्ट्रेप पेपर व एलएसडी ड्रॉप है, जो नशा करने के काम आता है, यह विदेशी नशा है जिसे लेने के 8-10 घंटे के बाद तक व्यक्ति मदहोश रहता है। यह नशा ज्यादातर विदेशी लोग व नयी उम्र के युवक-युवतियां हाई प्रोफाइल पार्टियों में लेते है। इसे मुख्यतः पब्स, रेव पार्टियों, कैम्पिग आदि में युवक युवतियां लेते हैं।
मौके पर सहायक पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी भी मौके पर पहुंच गए। पकड़े गये व्यक्तियों की तलाशी ली गयी तो इनके पास से भारी मात्रा में एलएसडी., स्ट्रेप पेपर व एलएसडी ड्रॉप बरामद हुई। आरोपियों ने बताया कि एक एलएसडी ड्राप की कीमत 2-3 हजार रूपये है। आरोपियों के विरूद्ध एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया।

लिसर्जिक एसिड डायथिलेमाइड एक तरह का ड्रग होता है, इसे नशे के आदी लोग ब्लॉटर पेपर के रूप में चाटते हैं, इसके लक्षणों को पहचानना आसान नहीं होता है, सेवन करने के बाद लोगों को सब कुछ अच्छा लगने लगता है।
आजकल के बढ़ते तनाव और फैशन ने युवाओं को नशीली दवाओं का आदी बना दिया है। एल एस डी यानी लिसर्जिक एसिड डायथिलेमाइड भी एक तरह का ड्रग्स होती है। जिसका सेवन करने के बाद लोगों को सब कुछ अच्छा लगने लगता है। पर असल में यह एक तरह का नशा होता है जो उन्हें हकीकत से कोसों दूर लेकर चला जाता है। ये अहसास सुखद होते है लेकिन कभी-कभी उसे बहुत खतरनाक विचार आते हैं और उसे डरावने अहसास होते हैं एवं डरावने दृष्य दिखाई देने लगते हैं, इस स्थिति को “बैड ट्रिप” कहा जाता है।

 पकडे गए आरोपी

– प्रेमचन्द निवासी 129 आदर्श ग्राम कुम्हारबाडा ऋषिकेश व मूल पता मौहल्ला कुम्हार गढा थाना कनखल जिला हरिद्वार
– हरजोत सिहं उर्फ प्रिंस निवासी डी 1 सोमेश्वर लोक अपार्टमेन्ट गंगानगर थाना ऋषिकेश
– वरुण उपाध्याय निवासी 143 मायाकुंड थाना ऋषिकेश

पुलिस टीम

– मंजूनाथ टीसी, सहायक पुलिस अधीक्षक-क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश
– प्रवीण सिंह कोश्यारी, प्रभारी निरीक्षक ऋषिकेश
– वरिष्ठ उप निरीक्षक हेमंत खंडूरी
– कांस्टेबल 470 कमल जोशी
– का0 66 शशिकान्त
– का0 1074 आजाद
– का0 171 अतुल कुमार

क्या होता है

एल. एस. डी को एसिड, ब्लॉटर या डॉट्स भी कहा जाता है। यह स्वाद मे कड़वी, गंधरहित और रंगहीन दवा होती है। बाजार में रंगीन टेबलेट, पारदर्शी तरल, जिलेटिन के पतले-पतले वर्ग के रूप में या सोख्ता कागज (ब्लॉटर पेपर) के रुप में मिलती है। आमतौर पर इसे नशे के आदी लोग ब्लॉटर पेपर के रूप में चाटते हैं, या टेबलेट के रूप में लेते हैं, जबकि जिलेटिन और तरल के रूप में इसे आँखों में रखा जा सकता है।

एलएसडी सेवन के लक्षण

-इसका सेवन करने वालों की आँखों की पुतलियाँ तन जाती है जैसे पुतलियाँ खींच कर लम्बी कर दी गयी हों। बहुत ज्यादा पसीना आना, जैसे व्यक्ति में असहजता और घबराहट की स्थिति में होता है।
– इसका सेवन करने के बाद व्यक्ति अपने होशो हवाश खो देता है। उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है मानों उसके आसपास होने वाली बातें वास्तविक ही ना हो। व्यवहार में अचानक ही बदलाव आने लगता है।
– हृदय गति और रक्त चाप बढ़ जाना, इस स्थिति में आमतौर व्यक्ति की आँखें, कनपटी और कान की लौ (कान का वह भाग जहां पर महिलाएं इयर रिंग पहनती हैं) सामान्य दिनों की अपेक्षा हल्के लाल हो जाते हैं।

कैसे होते है दुष्प्रभाव

– एल एस डी का सेवन करने से गंभीर मनोरोग होने की संभावना होती है।इसका प्रयोग करने वालों को, कभी- कभी एल. एस. डी फ्लैश बैक हो जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को बिना ये ड्रग्स लिए ही उसके प्रभाव का अनुभव होने लगतें हैं। यह स्थिति ड्रग्स बंद करने के कुछ दिनों से लेकर साल भर से भी ज्यादा समय बाद, कभी भी हो सकती है। यह स्थिति सालों तक रह सकती है।
– व्यक्ति को हलुसिनोजेन पेर्सिस्टिंग परसेप्शन डिसॉर्डर हो सकता है इसमें भी ऊपर स्थिति की तरह फ्लैश बैक हो सकता है।

इसकी पहचान

– एल एस डी के सेवन को पहचान पाना भी आसान नहीं होता है। इसका असर सामान्य स्थिति में 24 घंटे में खत्म हो जाता है और किसी प्रकार की दवाई या जाँच (टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट्स) की जरूरत नहीं होती। साथ ही यह सामान्य जांचों के द्वारा सामने भी नहीं आता। इसके लिए विशेष प्रकार की रक्त जाँच का प्रयोग किया जाता है। इस नशे के आदि व्यक्ति को देख कर ही पहचाना जा सकता है।

कैसे करे इसका इलाज

-यह बहुत जरूरी हो जाता है कि इसका इलाज किया जाए कि व्यक्ति की ड्रग्स लेने की इच्छा न हो। मादक पदार्थ फिर से शुरू करने से बचने के लिए उसको काउंसलिंग और बिहैवियरल ट्रीटमेंट दिया जाता है। जबकि विथड्रॉल के लक्षणों से बचने के लिए कुछ दवाइयाँ, जैसे दृ निकोटीन पैचेज और मेथाडॉन, नालट्रेक्सोन या सबॉक्सोन दिया जा सकता है।

LEAVE A REPLY