5 करोड़ तक वार्षिक आवर्त वाले व्यापारियों के लिए मासिक कर सहित त्रैमासिक विवरणी दाखिल किये जाने के प्रस्ताव पर मंथन

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वित्त मंत्री ने जी.एस.टी. परिषद् की 42वीं बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ली

क्रांति मिशन ब्यूरो
देहरादून। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जी.एस.टी. परिषद् की 42वीं बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। बैठक में राज्य का प्रतिनिधित्व कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल ने किया। संदर्भित बैठक में Return Enhancement and Advancement Project (REAP) के अन्तर्गत 5 करोड़ तक वार्षिक आवर्त वाले व्यापारियों के लिए मासिक कर सहित त्रैमासिक विवरणी दाखिल किये जाने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया एवं तत्संबंधी प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की गई। बैठक में विधि समिति द्वारा संस्तुत विषयों यथा- प्रारूप जीएसटीआर- 1 तथा प्रारूप जीएसटीआर- 3 ख दाखिल किये जाने को अक्टूबर, 2020 से मार्च, 2021 तक जारी रखे जाने एवं त्रैमासिक प्रारूप जीएसटीआर – 1 दाखिल करने वाले व्यापारियों के लिए त्रैमास समाप्त होने के उत्तरवर्ती माह की 13 तारीख तक उक्त विवरण दाखिल किये जाने, प्रारूप जीएसटीआर – 3 ख से पूर्व प्रारूप जीएसटीआर – 1 दाखिल किये जाने को अनिवार्य बनाए जाने, 2 करोड़ वार्षिक आवर्त वाले व्यापारियों के लिए वार्षिक विवरणी दाखिल किये जाने में छूट प्रदान करने तथा रिफण्ड का संवितरण आधार से जुड़े बैंक खाते में किये जाने विषयक प्रस्तावों पर सहमति व्यक्त की गई। जी.एस.टी. विधि में प्रस्तावित संशोधनों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। प्रस्तावित संशोधनों पर चर्चा के अंतर्गत मुख्यतः प्रारूप जीएसटी सीएमपी – 8 के लिए शून्य विवरण दाखिल करने हेतु एस.एम.एस. की सुविधा दिये जाने पर सहमति व्यक्त की गई।
उत्तराखण्ड राज्य द्वारा आयुर्वेद/यूनानी/सिद्धा सामग्री आधारित सैनिटाइजर पर वर्तमान कर की दर 18 प्रतिशत को कम नहीं किये जाने संबंधी तर्क परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसे परिषद द्वारा स्वीकार किया गया। राज्यों के समक्ष क्षतिपूर्ति आवश्यकताओं को पूर्ण किये जाने हेतु उपकर को आरोपित किये जाने की अवधि को जून, 2022 के पश्चात् अग्रेत्तर अवधि के लिए विस्तारित किए जाने पर भी उत्तराखण्ड राज्य द्वारा सहमति व्यक्त की गई।
इस क्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने राज्यों को जी.एस.टी. के क्रियान्वयन के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान की क्षतिपूर्ति के संबंध में प्रस्तावित दो विकल्पों में से उत्तराखण्ड राज्य द्वारा प्रथम विकल्प अपनाये जाने के संबंध में जी.एस.टी. परिषद को अवगत कराया गया। बैठक में राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।