Big News : उत्तराखंड दौरे पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव, टिहरी और नरेंद्रनगर वन प्रभागों के वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा, विभाग की तैयारियों का जायज़ा लिया, वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों से किया संवाद

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  • उत्तराखंड सरकार में वन मंत्री सुबोध उनियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार किशोर उपाध्याय रहे साथ

क्रांति मिशन ब्यूरो

नरेंद्रनगर/देहरादून। भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव दो दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर हैं।  यादव द्वारा उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत वन अग्नि से प्रभावित क्षेत्रों का सघन दौरा कर, इस आपदा से निपटने संबंधी उपायों की समीक्षा की गई। उन्होंने नरेंद्रनगर वन प्रभाग के अंतर्गत शिवपुरी, हिंडोलाखाल , बेमुंडा , आगराखाल आदि वन रेंजों का दौरा कर वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का जायज़ा लिया और अधिकारियों को उचित दिशानिर्देश दिए।

केंद्रीय वन मंत्री द्वारा क्षेत्रीय निरीक्षण के दौरान भागीरथी वृत्त के अंतर्गत नरेंद्र नगर एवं टिहरी वन प्रभागों में विभिन्न स्थलों का दौरा कर वन अग्नि से प्रभावित सुदूर वन क्षेत्र एवं वन विभाग की तैयारियों की भी समीक्षा की गई ।

भ्रमण के दौरान नरेंद्रनगर रेंज के अंतर्गत हिंडोला खाल, बेमुंडा एवं आगराखाल क्षेत्र में वन अग्नि से प्रभावित वन क्षेत्रों, वन विभाग द्वारा किए गए उपायों एवं स्थानीय निवासियों के स्तर पर प्रदान किए जा रहे सहयोग का भी जायजा लिया।

हिंडोलाखाल में स्थलीय दौरे के दौरान श्री यादव ने कहा कि उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएँ ज़्यादा हो गई थी । ये घटनाएं ज्यादातर चीड़ के जंगलों में घटित हुई है । जंगलों में वनाग्नि की घटनाएँ बढ़ी है। इस दौरान इनकी मॉनिटरिंग की गई और साथ में कई बैठकें भी की गई , जिसमें आग लगने के स्थानीय कारणों का पता लगाने की कोशिश की गई। श्री यादव ने कहा कि आज हालात नियंत्रण में हैं इसलिए स्थलीय निरीक्षण आवश्यक था ताकि यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों का जायज़ा लिया जा सके , जनसहभागिता और जनसहमति को सुनिश्चित किया जा सके ताकि शासन,वन विभाग समन्वय के साथ आग की घटनाओं रोक सके । उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए मिलकर काम कर रही है ।

बेमुंडा क्रू स्टेशन पर श्री यादव ने ग्रामीण महिलाओं और ग्रामीणों के साथ संवाद किया और जंगलों में आग लगने के कारणों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने वनाग्नि को बुझाने में लगे वन कर्मियों से भी बात की और क्रू स्टेशन का जायज़ा लिया।

उल्लेखनीय है कि हिंडोलाखाल में बांज प्रजाति के वन क्षेत्र हैं , जिसमें पूर्व में कतिपय वन अग्नि की दुर्घटनाएं हुई हैं। बेमुंडा में वन विभाग द्वारा क्रु स्टेशन की स्थापना की गई है, जिससे कि राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास वन क्षेत्र में वन अग्नि की घटनाओं के संबंध में सूचना प्राप्त होने पर तत्काल कार्रवाई की जा सके। बेमुंडा क्रु स्टेशन अत्यंत संवेदनशील वन क्षेत्र के निरीक्षण करने में सहायक है। इसी क्रम में आगराखाल स्थित सामुदायिक उन्नति केंद्र का भी केंद्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव द्वारा निरीक्षण किया गया एवं स्थानीय समुदाय द्वारा विभिन्न विकास गतिविधियों में किए जा रहे कार्यों का भी उन्होंने जायजा लिया। इस क्षेत्र में स्थानीय समुदाय द्वारा वन विभाग को वन अग्नि से निपटने में सहयोग भी प्रदान किया जाता है। निरीक्षण के दौरान केंद्रीय वन मंत्री द्वारा बादशाही ढोल में चीड़ के वनों में हुई अग्नि दुर्घटनाओं के क्षेत्र का भी मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया। श्री यादव द्वारा उपस्थित अधिकारियों से वार्ता कर अग्नि को रोकने एवं उससे निपटने के संबंध में प्रयासों की पूर्ण समीक्षा की गई।

श्री यादव द्वारा इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि वन विभाग वन अग्नि से निपटने हेतु तैयारी को और अधिक सघन करे। उन्होंने निर्देशित किया कि आग की सूचना प्राप्त होने पर कम से कम समय में उससे निपटने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

केंद्रीय वन मंत्री ने वन अग्नि के मामलों में स्थानीय समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित करने पर भी बल दिया। उन्होंने इस दौरान स्थानीय समुदाय को भी इस संबंध में प्रेरित किया। श्री यादव ने हाल ही में हुई वन अग्नि की दुर्घटनाओं एवं उससे हुई जान-माल की क्षति पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई।

केन्द्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बादशाहीथौल फारेस्ट रेंज में वन विभाग के अधिकारियों और वन कर्मियों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने वनाग्नि से निपटने हेतु जो उपकरण हैं उनका निरीक्षण किया और वन कर्मियों से उन उपकरणों की जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होने वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्रों का भी दौरा किया। इस मौक़े पर उत्तराखंड सरकार के वन मंत्री सुबोध उनियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार किशोर उपाध्याय सहित वन विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।