जलवायु परिवर्तन एवं निरन्तर आपदा पर हिमालयी राज्यों की चिन्ता साझा की

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  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर गठित बहुहितधारक राष्ट्रीय प्लेटफार्म (NPDRR) का तृतीय सम्मेलन
  • उत्तराखण्ड राज्य का प्रतिनिधित्व सुबोध उनियाल, मंत्री (वन, भाषा, निर्वाचन एवं तकनीकी शिक्षा) उत्तराखण्ड सरकार कर रहे हैं

क्रांति मिशन ब्यूरो

देहरादून। आपदा जोखिम न्यूनीकरण के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर गठित बहुहितधारक राष्ट्रीय प्लेटफार्म (NPDRR) के तृतीय सम्मेलन दिनांक 10 एवं 11 मार्च, 2023 में उत्तराखण्ड राज्य का प्रतिनिधित्व सुबोध उनियाल, मंत्री (वन, भाषा, निर्वाचन एवं तकनीकी शिक्षा) उत्तराखण्ड सरकार कर रहे हैं।

कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में राज्य सरकारों के साथ राष्ट्रीय महत्व के संस्थान एवं उपक्रमों के साथ अन्य हितधारक भी प्रतिभाग कर रहे हैं। आयोजन का मुख्य विषय “बदलती जलवायु में स्थानीय सहनीयता का निर्माण” ।  केन्द्रीय मंत्री ने भी कार्यक्रम में संबोधन किया।

कार्यक्रम में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के सम्बन्ध में स्थानीय प्रतिरोधी क्षमता के निर्माण, जोखिम नियन्त्रण एवं आपदा शमन में प्रौद्योगिकी व नवाचार के साथ सम्बन्धित पक्षों का पारस्परिक सहयोग सम्मिलित है।

कार्यक्रम में  मंत्री ने अपने सम्बोधन में जलवायु परिवर्तन एवं निरन्तर आपदा पर हिमालयी राज्यों की चिन्ता साझा की। इसमें प्रमुख तौर पर भूकम्प, भूस्खलन, बाढ़- भूस्खलन व वनाग्नि का उल्लेख किया।

हिमालयी क्षेत्र में मिट्टी के गुण, क्षेत्र की धारण क्षमता व जल उपलब्धता के मद्देनजर विकास की अवधारणा को पुनः परिभाषित करने के साथ बारिश के साथ अन्य स्रोतों से उत्पन्न होने वाले जल निस्तारण की समुचित व्यवस्था की बात कही एवं इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा पर्वतीय राज्यों को व्यापक तौर पर तकनीकी सहयोग की अपील की गई।

राज्य के जोशीमठ नगर की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए राज्य, केन्द्रीय व अर्न्तराज्यीय संस्थाओं के परस्पर समन्वयन एवं सहयोग की जरूरत पर बल दिया गया।

उत्तराखण्ड समेत हिमालयी राज्यों की संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए उन्हें आपदा निरापद बनाये जाने के लिए विशिष्ट नीति एवं प्रयास किये जाने की ओर सम्मेलन का ध्यानाकर्षण किया गया। साथ ही आपदा की स्थिति में पंचायती राज संस्थाओं के साथ-साथ स्वयं सेवी संस्थाओं को भी इससे आच्छादित किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।

जलवायु परिवर्तन को हिमालयी राज्यों के लिये चिन्ता का विषय बताते हुए इसके कारण जल संचय में कमी एवं इन राज्यों के ग्लेशियर में अवस्थित झीलों से बाढ़ की सम्भावना के तहत वृहद योजनाएं विकसित करने व इनके क्रियान्वयन हेतु राज्य सरकारों को आवश्यक तकनीक व संसाधन उपलब्ध करवाये जाने की आवश्यकता इंगित की गयी।