- 11 हजार फीट से अधिक ऊँचाई पर किये जाने वाले रेस्क्यू कार्यों के लिए अन्य अर्धसैनिक बलों की तर्ज पर एस.डी.आर.एफ में कार्य करने वाले राजपत्रित अधिकारियों को 1500 रुपए एवं अराजपत्रित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 1000 रुपए प्रतिदिन जोखिम भत्ता मिलेगा
- जौलीग्रान्ट में नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ मुख्यालय एवं फायर स्टेशन का लोकार्पण किया मुख्यमंत्री ने
क्रांति मिशन ब्यूरो
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को जौलीग्रान्ट में नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ मुख्यालय एवं फायर स्टेशन का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर एसडीआरएफ के जवानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि एस.डी.आर.एफ. द्वारा 11 हजार फीट से अधिक ऊँचाई पर किये जाने वाले रेस्क्यू कार्यों के लिए अन्य अर्धसैनिक बलों की तर्ज पर एस.डी.आर.एफ में कार्य करने वाले राजपत्रित अधिकारियों को 1500 रुपए एवं अराजपत्रित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 1000 रुपए प्रतिदिन जोखिम भत्ता प्रदान किया जाएगा। आपदा प्रबन्धन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाए जाने के उद्देश्य से एस.डी.आर.एफ की छठी कम्पनी गठित की जाएगी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर एक-तिहाई महिला कार्मिकों की नियुक्ति की जाएगी। एस.डी.आर.एफ. में प्रतिनियुक्ति की समयावधि 7 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ ट्रेनिंग सेंटर और वाहिनी मुख्यालय के लोकार्पण के अवसर पर एस.डी.आर.एफ की टीम को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि मुझे मुख्य सेवक के रूप में एसडीआरएफ के इस नवनिर्मित मुख्यालय को आज प्रदेश को समर्पित करने का मौका मिल रहा है। लगभग 144.43 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एस.डी.आर.एफ के मुख्यालय में प्रशिक्षण एवं आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अन्य गतिविधियां भी होंगी। उन्होंने कहा कि एस.डी.आर.एफ के जवानों और अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन साहस, वीरता, सेवा और समर्पण भाव को से किया जा रहा है। इनका त्याग और कार्यकुशलता अनुकरणीय है। विषम परिस्थितियों में इनके द्वारा जिस साहस से कार्य किया जाता है, वह सराहनीय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हमारे पुलिस के जवान मोर्चा संभालते हैं और लोगों की जान बचाने के लिए आगे आते हैं। राज्य में 2013 में एस.डी.आर.एफ के गठन से ही एस.डी.आर.एफ ने आपदा के समय देवभूमि में समय-समय पर अनुकरणीय एवं प्रभावी कार्य किए है। गठन से अब तक एसडीआरएफ द्वारा तीन हजार से अधिक रेस्क्यू ऑपरेशनों में बारह हजार से अधिक घायलों का सफल रेस्क्यू किया गया एवं विषम परिस्थितियों में करीब दो हजार शवों को रिकवर भी किया गया। एसडीआरएफ उत्तराखण्ड ने अपनी कार्यकुशलता एवं रेस्क्यू दक्षता के चलते राज्य के आम जनमानस के साथ-साथ प्रतिवर्ष धार्मिक, आध्यात्मिक एवं साहसिक पर्यटन हेतु राज्य में आने वाले लाखों लोगों के मन मस्तिष्क में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। विकट परिस्थितियों में राहत एवं बचाव कार्यों के साथ ही आम जनमानस को आपदा की विभीषिका का बोध कराने एवं सामुदायिक क्षमता विकसित करने हेतु एसडीआएफ द्वारा वृहद स्तर पर जन-जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित किये जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ माह पूर्व जोशीमठ में आई प्राकृतिक भूधंसाव की घटना के पश्चात राहत एवं बचाव कार्य के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने का कार्य भी एसडीआरएफ के हमारे जवानों और अधिकारियों ने बड़ी ही कुशलता के साथ किया। उत्तरकाशी एवलांच की घटना के बाद फंसे हुए ट्रैकर्स को निकालने में भी एसडीआरएफ की बड़ी भूमिका रही थी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसी प्रकार एसडीआरएफ आगे भी कुशलतापूर्वक किसी भी आपदा के समय राहत एवं बचाव का महत्वपूर्ण कार्य करती रहेगी।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखण्ड में एसडीआरएफ के गठन से ही उनके द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। एसडीआरएफ एक मोटिवेशनल फोर्स के रूप में आगे बढ़ रही है। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से एक सशक्त बल के रूप में कार्य कर रही है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि एस.डी.आर.एफ की 05 कंपनियां कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में 39 स्थानों पर एस.डी.आर.एफ की टीमें व्यवस्थित की गई हैं। आपदाओं के दौरान एसडीआरएफ के जवानों ने सराहनीय कार्य कर अपनी कार्यक्षमता का परिचय दिया है।
इस अवसर पर विधायक बृज भूषण गैरोला, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, अपर पुलिस महानिदेशक डॉ. पी.वी.के. प्रसाद, आई.जी. एस.डी.आर.एफ रिद्धिम अग्रवाल, सेनानायक एस.डी.आर.एफ मणिकांत मिश्रा एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।