- ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में 213 किमी की सुरंगे हैं, जिसमें से 171 किमी का कार्य हो चुका है पूरा
- कर्णप्रयाग रेल परियोजना की सुरंगों को मजबूती प्रदान करने के लिए हिमालयन टनलिंग मेथड यानी एचटीएम का हो रहा प्रयोग
क्रांति मिशन ब्यूरो
देहरादून। केंद्रीय रेल मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री व इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौ़द्यौगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी देहरादून) में आयोजित वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से उत्तराखंड के पत्रकारों को रेलवे बजट के संदर्भ में संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार रेलवे को रिकॉर्ड दो लाख 62 हजार का बजट में आवंटन किया गया है। इस आवंटन के लिए वैष्णव ने केंद्रीय वित्त मंत्री का आभार जताया है।
पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रिकार्ड बजट आवंटन का लाभ उत्तराखंड को भी मिलेगा। उन्हानें जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड को 2024-25 के बजट में विभिन्न रेल परियोजनाओं के लिए बजट में 5 हजार 131 करोड़ का आवंटन हुआ है। इस बजट से उत्तराखंड में रेल नेटवर्क को सुदृढ़ किया जाएगा ।
वैष्णव ने चार धाम के लिए केंद्र सरकार की अति महत्वकांक्षी ऋषिकेश -कर्णप्रयाग रेल परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि इस परियोजना में 213 किमी की सुरंगें हैं, जिसमें से अभी 171 किमी का कार्य पूरा हो चुका है और बाकि का कार्य तेज गति से चल रहा है। रेल मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में सुरंगें बनाने के लिए जिन दो टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है उनका नाम ‘शिव’ और ‘शक्ति’ रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना का कार्य 2026 के मध्य तक पूरा हो जाएगा और ये अपने आप में एक कीर्तिमान होगा कि इतनी बड़ी और जटिल परियोजना को हिमलाय के युवा वलित पहाड़ों पर काफी कम समय में पूरा किया जाएगा, जहां कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हिमालय के पहाड़ क्योंकि अभी युवा हैं, इसलिए इसमें अधिकत्म मिट्टी पाई जाती है , जो सुरंग बनाने में मुश्किल पैदा करती है। इसलिए हिमालय के पहाड़ों में सुरंग बनाने के लिए हिमालयन टनलिंग मेथ्ड यानी एचटीएम को इजाद किया गया है, जिससे हिमालय के युवा वलित पहाड़ों के भीतर सुरंग बनाई जा सकती है। एचटीएम के माध्यम से संतुलित टनल बनाई जाती है।
अश्विनी वैष्णव ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बताया कि उत्तराखंड में बागेश्वर -टनकपुर, बागेश्वर-गैरसैंण, ऋषिकेश-उत्तरकाशी और सहारनपुर रेलवे लाइनों की डीपीआर बनाने का कार्य जैसे-जैसे पूरा होता रहेगा, इसकी जानकारी साझा की जाएगी।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के सुरक्षा के सवाल के जवाब में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हिमालयी राज्य में रेलवे की जो सुरंगें बन रही हैं, वो बेहद एडवांस तकनीकि के साथ बन रही हैं। उन्हानें कहा कि ऐसे क्षेत्र में जहां ठोस पत्थर नहीं हैं, वहां हिमालयन टनलिंग मैथड से टनल बनाई जा रही हैं, जिसमें टनल बोरिंग के साथ-साथ उसे कंकरीटयुक्त कर मजबूती प्रदान की जाती है, जिससे वह सुरक्षित हो जाती है। इसके अलावा टनल बनाते समय सुरक्षा की दृष्टि से हर काम बहुत सावधानी से करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं।
उत्तराखंड मे चल रहे रेल पोजेक्ट्स
उत्तराखंड में 2014 से 2024 तक 69 किमी के नए रेल ट्रैक बिछे हैं। साथ ही इसी अवधि में 303 किमी की रेल लाइनों को इलेक्ट्रीफाइड किया गया है। 2009-14 के बीच ये आंकड़ा 0 का था। आज प्रदेश की हर रेलवे लाइन बिजलीयुक्त है। इसके अलावा राज्य में 70 रेल ब्रिज और अंडर ब्रिज का निर्माण हो चुका है। फिलहाल राज्य में 216 किमी की 03 रेल परियोजनाओं (रेलवे ट्रैक) का काम चल रहा है , जिसकी लागत ₹25,941 करोड़ है।
साथ ही देहरादून, हरिद्वार जंक्शन, हर्रावाला, काशीपुर जंक्शन, काठगोदाम, किच्छा, कोटद्वार, लालकुआं जंक्शन, रामनगर, रुड़की और टनकपुर सहित 11 स्टेशनों को अमृत स्टेशनों के रूप में विकसित किया जाएगा।