लोकपर्व सातूं-आठूं : कुमाऊंनी महिलाओं ने धूमधाम से मनाया त्यार, शिव-गौरा का पूजन किया, झोड़ा चांचरी से मचाया धमाल

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भुवन उपाध्याय 

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड का कुमाऊं क्षेत्र लोकपर्वों एवं रीति-रिवाजों के मामले में समृद्ध है। रंगीले कुमाऊं में यहां के लोग दिल से तीज-त्योहार मनाते हैं एवं पारंपरिक-पौराणिक संस्कृति का अनुपालन करते हैं। भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को माता पार्वती एवं महादेव का शिव-गौरा के रूप में विधि-विधान से पूजन किया जाता है। माता गौरा को बिटिया-बहना और भगवान शिव को जमाई राजा व जीजा जी के रूप में माना जाता है। धूमधाम से शिव-गौरा का विवाह किया जाता है। इस शानदार त्योहार को कुमाऊं में सातूं-आठूं यानि गौरा महेश्वर पर्व कहा जाता है। कुमाऊंनी पारंपरिक परिधानों रंगोली पिछौड़ा, गलोबंद, नथ समेत तमाम श्रंगार से सजीं महिलाएं शिव-गौरा का पूजन करतीं हैं। व्रत करती हैं और खूब सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम मची रहती है। झोड़ा चांचरी से वातावरण खुशनुमा बना रहता है।

कुर्मांचल सांस्कृतिक परिषद की प्रेमनगर शाखा की ओर से राघव विहार स्तिथ श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में सातूं-आठूं पर्व धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने शिव-पार्वती के जीवन पर आधारित लोक गीतों पर खेल झोड़ा, चाचरी “खोल दे माता खोल भवानी”, “सौला सौलानी “, “धनुली कंगी टुटली आफी टूटली ख्वार कटोरिए रोज”, ” ओ मेरी साली पिनालू लगे दे” “सांची बता दे पार्वती भोले तेरा काछना” लगाकर शिव-पार्वती की जीवन लीला का प्रदर्शन सजीव चित्रण किया।

सचिव श्रीमती हंसा धामी ने बताया कुमाऊं में सातूं-आठूं यानि गौरा महेश्वर पर्व मनाया जाता है। शिव-पार्वती की उपासना के इस पर्व की शुरुआत बिरूड़ (पांच प्रकार का अनाज) से होती है। भाद्र पद माह की पंचमी को भिगाये जाते हैं। बिरुड़ पंचमी के दिन एक साफ तांबे या पीतल के बर्तन में पांच तरह के अनाज को मंदिर के पास भिगोकर रखा जाता है। भिगोये जाने वाले अनाज गेहूं, गहत , गुरुंस, उड़द और कलों (हरी मटर) हैं। बर्तन के चारों ओर नौ छोटी-छोटी आकृतियां बनाई जाती हैं। ये आकृतियां गोबर से बनती हैं। इन आकृति में दूब डोबी (दबाई) जाती है। यह पर्व भाद्र महीने की पंचमी से शुरू होता है और पूरे हफ्ते भर चलता है।

इस पर्व के संबंध में एक किंवदंती है कि जब माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर मायके आतीं हैं तो शिवजी उन्हें वापस लेने धरती पर आते हैं। घर वापसी के इस मौके को यहां गौरा देवी के विदाई के रूप में कुमाऊं के पूर्वोत्तर भूभाग महाकाली नदी के दोनों ओर कुमाऊं और पश्चिम नेपाल में मनाए जाने वाला महत्वपूर्ण लोक उत्सव है। सातू आठूं को धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रीमती हंसा धामी ने बताया कूर्माचल परिषद प्रेमनगर शाखा द्वारा राघव विहार स्तिथ श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में हर वर्ष यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं व पुरुष प्रतिभाग करते हैं। परिषद का हमेशा प्रयास रहा है कि अपनी पुरानी संस्कृति और सभ्यता को हमेशा जीवित रखें और सामूहिक रूप से इस पर्व को मनाते हैं।

इस बार पर्व में कैंट विधायक सविता कपूर, कैबिनेट मन्त्री गणेश जोशी की धर्मपत्नी ‌निर्मला जोशी, आर्येंदर शर्मा, कमल रजवार, बबीता साह लोहानी, हरी सिंह बिष्ट, पुष्पा भट्ट, हंसा धामी, गंगा देवी, राम सिंह बिष्ट, नरेंद्र धामी, जगदीश बोरा, पुष्पा भट्ट, भूपाल सिंह नेगी , सन्तोष जोशी आदि उपस्थित रहे।

मां गौरी और शिव शंकर की आराधना की एवं सबके मंगलमय जीवन की कामना की

लोक पर्व सातू -आठू का पर पूजन भगवान सिंह मनोला के आवास अलकनंदा नथनपुर में धूमधाम से मनाया गया। जिसमें ‘ बिरुडो ‘ (पाँच प्रकार अनाज ) जिसमें गौरा महेश्वर की विधि विधान से पूजा की गई। समस्त महिलाओं ने मिलकर मां गौरी और शिव शंकर की आराधना की एवं सबके मंगलमय जीवन की कामना की। सामूहिक लोकनृत्य झोड़ा करके मां गौरी को प्रसन्न करने की कामना की। सभी ने मिलकर श्री कृष्ण जन्मोत्सव के उपलक्ष में भजन गाए जिसमें शर्मिष्ठा कफलिया, दीपा चन्दोला, मोहिनी मनोला चन्द्रा पंत, जानकी जोशी, शकुंतला जोशी, माया उपाध्याय और सैकड़ो महिलाओं ने भाग लिया