क्रांति मिशन ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड खत्म होने जा रहा है उसके स्थान पर मदरसा संचालकों को उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी और उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से संबद्धता लेनी होगी।
राजभवन से इस निर्णय की स्वीकृति मिलने के बाद अब धामी सरकार ने अल्पसंख्यक बुद्धिजीवियों की तलाश शुरू कर दी है ।
जानकारी के मुताबिक उक्त शिक्षा प्राधिकरण में मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी आदि समुदाय से सदस्य होंगे जोकि मिलकर अल्पसंख्यक बच्चों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस आशय के बिल पर उत्तराखंड के राज्यपाल पूर्व लेफ्ट जनरल गुरमीत सिंह ने अपने हस्ताक्षर करते हुए इसे मंजूरी दे चुके है। जिसके बाद से अल्पसंख्यक मंत्रालय आगे की कारवाई करने में जुट गया है।
स्मरण रहे कि राज्यपाल ने बिल पर हस्ताक्षर करने से पहले राज्य के अल्पसंख्यक प्रतिनिधि मंडलों के साथ व्यापक चर्चा की थी जिनमें सिख,मुस्लिम, जैन, ईसाई, बौद्ध आदि धर्मों के लोग शामिल थे।
बता दें कि गैरसैंण में आयोजित मानसून सत्र के दौरान अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 को पारित किया गया था और उसके बाद इसे मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया था।
इस विधेयक के अंतर्गत उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा के लिए एक प्राधिकरण (Authority) का गठन किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने का कार्य करेगा। साथ ही, विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि मदरसे जैसे अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अब उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त करनी होगी ।
सीएम पुष्कर सिंह धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उत्तराखंड में सभी अल्पसंख्यक बच्चे एक समान शिक्षा 2026 के जुलाई सत्र से पढ़ेंगे, मदरसा बोर्ड खत्म हो जाएगा और उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण के अंब्रेला के नीचे मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध जैन शिक्षण संस्थाएं आएंगी। जिसके गठन की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने बताया कि देवभूमि में तुष्टिकरण की शैक्षिक नीति का अंत होने जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदाय के सभी बच्चे , चाहे वो किसी भी समुदाय से होंगे वो राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़ेंगे।








