हमारी संस्कृति : लोकपर्व ‘घी त्यार’ में कूर्मांचल भवन में महकी पारंपरिक पहाड़ी व्यंजनों की खूशबू, पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से समां बांधा, प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी ने सभी को त्योहार की बधाई दी

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भुवन उपाध्याय 

देहरादून। कूर्मांचल भवन में आज लोक पर्व घी त्यार (घी संक्रांति पर्व) हर्षोल्लास से मनाया गया। पारंपरिक परिधानों रंगोली पिछौड़ा, नथ पहने कुमाऊंनी महिलाओं ने अपने हाथों से बनाए पारंपरिक व्यंजनों और पहाड़ी उत्पादों से खूबसूरत स्टाल सजाये थे। स्टालों में उड़द के बड़े, भरवा पूरी, सिंगल, रायता, खीर, पीस्यू नून, पहाड़ी ककड़ी, गाबे, अखरोट इत्यादि सजे थे। खूब नाच-गाने हुए। रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों और हंसी-ठिठोली से वातावरण खुशनुमा हो गया और लगा दूर सीमांत पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत, बागेश्वर, चमोली जिले के माणा गांव में कहीं घी त्यार का सामूहिक कार्यक्रम हो रहा है। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को घी संक्रान्ति की बधाई एवं शुभकामनायें दी हैं।

कार्यक्रम में पधारीं कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की धर्मपत्नी निर्मला जोशी का घी की ठेकी (घी से भरा बर्तन) भेंट कर अभिनंदन किया गया। अध्यक्ष कमल रजवार, महामंत्री गोविंद पांडेय, संजय मटेला, भारती पांडेय, बबीता शाह लोहनी, मनमोहन सिंह समेत तमाम कूर्मांचल परिवार के सदस्यों ने मेहमानों का स्वागत किया और पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद चखाया।

पर्वों की परम्परा से भावी पीढ़ी को जागरूक करना भी हम सबकी जिम्मेदारी है : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को घी संक्रान्ति की बधाई एवं शुभकामनायें दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड अपनी संस्कृति और लोकपर्व के लिए जाना जाता है। हमारे पारम्परिक लोकपर्व सांस्कृतिक विरासत के मजबूत आधार होते हैं। घी संक्रांति राज्य का प्रमुख लोकपर्व होने के साथ ही किसानों तथा अच्छे स्वास्थ्य की कामना से जुड़ा पर्व भी है। अपने इन पर्वों की परम्परा से भावी पीढ़ी को जागरूक करना भी हम सबकी जिम्मेदारी है।