हरिद्वार की सभी राशन दुकानों में ई-पॉइंट ऑफ सेल व्यवस्था लागू; आधार आधारित वितरण और डिजिटल शिकायत निवारण प्रणाली को मिली नई मजबूती: त्रिवेन्द्र

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नई दिल्ली। हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा संसद के मानसून सत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की पारदर्शिता, शिकायत निवारण और तकनीकी सशक्तिकरण को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा गया।

इस पर अपने लिखित उत्तर में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की राज्य मंत्री श्रीमती निमुबेन जयंतीभाई बांभणिया ने कई अहम जानकारियाँ साझा कीं, जो इस दिशा में सरकार के ठोस प्रयासों को रेखांकित करती हैं। उन्होंने बताया कि हरिद्वार जिले की सभी 608 उचित दर दुकानें (FPS) अब ईपीओएस मशीनों से जुड़ चुकी हैं, और इनमें आधार आधारित प्रमाणीकरण (AADHAAR Authentication) के माध्यम से लाभार्थियों को राशन वितरण की सुविधा सुनिश्चित की गई है। यह व्यवस्था पारदर्शिता बढ़ाने और डुप्लीकेसी रोकने की दिशा में एक मजबूत कदम है। मंत्री महोदया ने स्पष्ट किया कि आधार सीडिंग के बाद भी किसी प्रकार की अनियमितता संबंधी कोई विशिष्ट रिपोर्ट विभाग को प्राप्त नहीं हुई है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि हालांकि हाल में कोई स्वतंत्र लेखा परीक्षा या सर्वेक्षण नहीं हुआ है, फिर भी सरकार ने वर्ष 2018 से 2023 तक दो चरणों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के कार्यान्वयन का समवर्ती मूल्यांकन कराया है। यह कार्य प्रमुख निगरानी संस्थानों (Monitoring Institutions) द्वारा किया गया, जिनकी रिपोर्टें एनएफएसए पोर्टल (https://nfsa.gov.in/portal/Concurrent_Evaluation) पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लाभार्थियों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली को और अधिक सुलभ और प्रभावी बनाया है। जिसके अंतर्गत NFSA पोर्टल, मेरा राशन मोबाइल ऐप, अन्न सहायता प्लेटफॉर्म (WhatsApp, IVRS आधारित) और CPGRAMS पोर्टल उपलब्ध हैं इन माध्यमों से लाभार्थी अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं, और अधिकारियों के लिए इनकी निगरानी एवं त्वरित निस्तारण हेतु केंद्रीय पोर्टल भी विकसित किए गए हैं।

सांसद रावत ने कहा कि हरिद्वार में ईपीओएस आधारित राशन वितरण प्रणाली और ऑनलाइन शिकायत निवारण तंत्र, डिजिटल भारत की संकल्पना को धरातल पर उतारने का प्रमाण हैं। इससे न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित होती है, बल्कि अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुंचाने में सुशासन की भावना साकार होती है। उन्होंने कहा कि यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के “जन सेवा, जन सुविधा और जन कल्याण” के विजन को मजबूती प्रदान करती है।