‘हिन्दू समाज संगठित शक्ति का पूजक है यही विजयादशमी का संदेश है!’

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क्रांति मिशन ब्यूरो

देहरादून। “हिन्दू समाज संगठित शक्ति का पूजक है यही विजयादशमी का संदेश है”! … यह बात देहरादून उत्तर महानगर के अलकनंदा नगर की मियांवाला बस्ती में पूर्ण गणवेश सहित ‘विजयादशमी’ पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में प्रान्त प्रचार प्रमुख संजय जी ने कही वह विशाल एकत्रीकरण को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयादशमी के अवसर पर अपने शताब्दी वर्ष का शुभारंभ किया। “संगठित और शक्तिशाली हिंदू समाज ही शांतिपूर्ण विश्व की गारंटी है।”

हिंदू समाज का जीवनदर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ और स्वदेशी के भाव पर आधारित है। समाज में कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्यों का पालन, सामाजिक समरसता और पर्यावरण संरक्षण आज समय की आवश्यकता है और संघ इन विषयों को शताब्दी यात्रा के माध्यम से जन-जन तक पहुंचा रहा है। संगठन के इतिहास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रारंभिक काल में संघ को उपेक्षा और विरोध सहना पड़ा, परंतु सेवा कार्यों और व्यक्ति निर्माण के अभिनव प्रयोगों से धीरे-धीरे समाज में इसकी स्वीकार्यता बढ़ी। उन्होंने कहा कि आपदा और संकट की हर घड़ी में संघ के स्वयंसेवक समाज के साथ खड़े रहे हैं। उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदाओं से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में राहत कार्य इसका प्रमाण हैं।

विजयादशमी पर्व के महत्व पर उन्होंने कहा कि यह दिन केवल बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक नहीं, बल्कि विजय शालिनी शक्ति, हिंदुत्व की पहचान और संगठन शक्ति का उत्सव है। आयोजित समारोह में सैकड़ों स्वयंसेवकों ने पारंपरिक गणवेश में उपस्थित होकर उत्साहपूर्ण रूप से सहभागिता की। बड़ी संख्या में समाज के बंधु-बांधव भी इस उत्सव में शामिल हुए। संघ शताब्दी वर्ष की इस शुरुआत का संदेश स्पष्ट है – संगठित हिंदू समाज ही राष्ट्र की सुरक्षा और विश्व शांति की गारंटी है।