Big News : अभाविप की सदस्यता 76,98,448 हुई, विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन ने तोड़ा अपना ही पूर्व रिकॉर्ड … अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन का देहरादून में हुआ शुभारंभ

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  • अभाविप ने सिद्ध किया की सेवा में निहित है सच्चा नेतृत्व : एस सोमनाथ

क्रांति मिशन ब्यूरो

देहरादून।  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन का भव्य शुभारंभ आज शुक्रवार को देहरादून के परेड ग्राउंड में अस्थाई रूप से बसाए गए ‘भगवान बिरसा मुंडा नगर ‘ के ‘जनरल विपिन रावत रावत सभागार’ में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डा.. एस सोमनाथ ने किया। इस अवसर पर अभाविप के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. (डा.) रघुराज किशोर तिवारी, पुनर्निर्वाचित राष्ट्रीय महामंत्री डा. वीरेंद्र सिंह सोलंकी, अभाविप की राष्ट्रीय मंत्री कु. क्षमा शर्मा, अभाविप राष्ट्रीय अधिवेशन की स्वागत समिति अध्यक्ष एवं ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डा. कमल घनशाला, स्वागत समिति महामंत्री एवं उत्तराखण्ड जलागम परिषद के उपाध्यक्ष रमेश गाड़िया, उत्तराखण्ड अभाविप प्रांत अध्यक्ष डा. जे.पी. भट्ट एवं उत्तराखण्ड अभाविप प्रांत मंत्री ऋषभ रावत मंच पर उपस्थित रहे।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डा. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने विगत वर्ष का वृत्त प्रस्तुत करते हुए यह आंकड़ा रखा कि अभाविप ने इस वर्ष सदस्यता के सभी पुराने आंकड़ों को पीछे छोड़ 76,98,448 विद्यार्थियों की सदस्यता की है। अभाविप की 77 वर्ष की संगठनात्मक यात्रा में यह संख्या सर्वाधिक है। आज उद्घाटन सत्र के पश्चात “युवा भारत का आह्वान” विषयक भाषण सत्र का आयोजन हुआ, जिसमे बतौर वक्ता अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान रहे एवं इसी भाषण विषय पर समानांतर सत्रों में चर्चा भी की गई।
अभाविप के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन में उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि, प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व इसरो अध्यक्ष डा. एस. सोमनाथ ने उपस्थित सभी प्रतिनिधियों को इस भव्य अधिवेशन हेतु शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा, “किसी भी राष्ट्र का उत्थान तभी संभव है, जब उसकी युवा पीढ़ी ज्ञान, तकनीक और निडर शक्ति से सम्पन्न हो। आज के युवाओं को देखकर हर्ष होता है क्योंकि प्रत्येक युवा न केवल वर्तमान का ध्वजवाहक है, बल्कि भविष्य का आधारस्तंभ भी है। यह एक आंदोलन है, एक मिशन है और इसी महत्वपूर्ण परिस्थिति में अभाविप उभरकर सामने आती है। युवा का संकल्प ही राष्ट्र का स्वरूप गढ़ता है। अभाविप ने सदैव भारत की राष्ट्रीय नीतियों को संरक्षित किया है। उसका मार्गदर्शक सिद्धांत ‘चरैवेति-चरैवेति’ उसे निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हम एक ऐसी वैश्विक तकनीकी शक्ति हैं, जिसकी सभ्यता अपनी संस्कृति में गहराई से निहित है। आज विश्व कह रहा है कि भारत 21वीं सदी का नेतृत्व कर रहा है और हम कह रहे हैं कि हमारा समय आ गया है। भारत की 25 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या युवा है, यह हमारे लिए एक सांस्कृतिक वरदान है। जब युवा दृढ़ होकर खड़े होते हैं, तो इतिहास की दिशा बदल जाती है। आप वही पीढ़ी हैं, जो भारत का भविष्य लिखेगी। हमारे यहां विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ चलते हैं ज्ञान, संस्कार और सेवा के आधार पर। चंद्रयान-3 के माध्यम से दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला राष्ट्र बना और ऐसे बहुत से मिशनों में हम विश्व को राह दिखा रहे हैं। आज अंतरिक्ष में भी भारत स्पष्ट कह रहा है कि अब हमारा समय है। भारत की युवाओं से उत्कृष्टता, नेतृत्व और चरित्रवान आचरण की अपेक्षा है, जो अभाविप कार्यकर्ताओं को प्रमुखता से सिखाया जाता है। बिना भय के नवाचार कीजिए, यही आपका धर्म है। हमें प्रतिदिन स्वयं से यह प्रश्न करना चाहिए कि हम राष्ट्र के लिए और उसकी एकता बनाए रखने के लिए क्या कर रहे हैं? भारत एक है, और इसे एक रूप में बनाए रखना युवाओं की जिम्मेदारी है। एबीवीपी ने यह सिद्ध किया है कि सच्चा नेतृत्व सेवा में निहित होता है। जब हर हाथ में हुनर होगा, हर मन में विश्वास होगा और हर दिल में भारत होगा, वास्तविकता में वही विकसित भारत होगा।”

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. (डा.) रघुराज किशोर तिवारी ने अधिवेशन में आए सभी प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा, “अभाविप विश्व का सबसे बड़ा विद्यार्थी संगठन है, यह गौरव हम सभी को मिला है। भारत में युवाओं को कर्तव्यपथ पर ले जाने में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है, ऐसे ही भूमिका अभाविप के शिल्पकार रहे प्रा यशवंतराव केलकर ने निभाई है। आज अभाविप की स्वीकार्यता समाज में अपनी विशिष्ट और विशेष कार्यपद्धति के चलते बड़ी है, यह हर्ष का विषय है। आज युवा पीढ़ी के समक्ष हम रोल मॉडल बनके उभरे हैं, अभाविप के कार्यकर्ता इस क्रम में निरन्तर आगे बढ़ते जाएंगे।”

अभाविप के पुनर्निर्वाचित महामंत्री वीरेंद्र सोलंकी सोलंकी ने कहा, “भारतीय एकात्मकता के लिए अभाविप कार्यकर्ता निरंतर प्रयास कर रहे हैं। आज 77 वर्षों की अभाविप बहुआयामी वटवृक्ष का रूप ले चुकी है, यह यात्रा इसके पंजीयन 1949 से बहुत वर्ष पहले उन अमर बलिदानियों के ध्येय से शुरू हुई थी जिन्होंने स्वंतत्रता की लड़ाई में खुद को बलिदान कर दिया था। उसी ध्येय के साथ अभाविप की स्थापना हुई थी और उसी को अभाविप कार्यकर्ताओं ने आगे बढ़ाने का काम किया है। स्थापनाकाल के बाद अभाविप के कार्यकर्ताओं ने समाज को विभिन्न अभियानों और कार्यक्रमों के माध्यम से सकारात्मक दिशा देने का काम किया है। इस देश के हर एक हिस्से को एकसूत्र में बांधने का काम अभाविप कार्यकर्ताओं ने किया है। आज अभाविप का इतना वृहद स्वरूप हो चुका है कि समाज एवं शिक्षा के सभी विषयों पर अपने आयामों और गतिविधियों के माध्यम से काम हो रहा है। आज केवल देश के अंदर ही नहीं अपितु भारत से बाहर पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के बीच भी हम अपने आयाम के माध्यम से ‘राष्ट्र प्रथम’ के भाव और संकल्प को और मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं। आज यहां उपस्थित प्रतिनिधियों से मैं यही आह्वान करता हूं कि इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन से सीखकर आप अपने कार्यक्षेत्र में जाएं और ‘राष्ट्र प्रथम’ के भाव को और दृढ़ करने तथा छात्र शक्ति को और गतिमान बनाने का कार्य करें।”