उत्तराखंड : क्या परिवार रजिस्टर में छिपी है डेमोग्राफी चेंज के राज? …. बाहरी राज्यों से आए मुस्लिमों के नाम उनके रिश्तेदारों ने देवभूमि में दर्ज करवाए ?

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क्रांति मिशन ब्यूरो

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन की समस्या के कारण जानने है तो एक नजर परिवार रजिस्टरों पर डाल ली जाए तो चौंकाने वाले राज सामने आ जाएंगे।मुस्लिम ग्राम प्रधानों ने अपनी कुर्सी को कायम रखने के लिए ग्राम सभा के अधिकारियों की मिलीभगत से अपने रिश्तेदारों के नाम यहां के परिवार रजिस्टरों में एक षडयंत्र के तहत दर्ज करवा लिए है।

देहरादून जिले के पछुवा दून क्षेत्र में और अन्य मैदानों जिलों के गांवों में भी ऐसे मामले प्रारंभिक जांच में सामने आए है।
उल्लेखनीय है कि पछुवा दून में 28 गांव ऐसे है जोकि पहले हिन्दू बाहुल्य थे अब मुस्लिम बाहुल्य हो गए है।

यहां से किसी लड़की का निकाह उत्तराखंड से बाहर हुआ तो उसका नाम परिवार रजिस्टर से कटना चाहिए था लेकिन हुआ इसका उल्टा बल्कि उसके शौहर और बाद में उनके बच्चों के नाम भी यहां परिवार रजिस्टर में ग्राम प्रधानों की कृपा से चढ़ गए और वे अब सरकारी सुविधाएं ले रहे है ग्राम समाज की जमीनों पर अवैध कब्जे कर लिए है। उनके नाम वोटर लिस्ट में है,उनके आधार कार्ड बन गए है राशन कार्ड बन गए है।

ऐसा भी जानकारी में आया है कि इनके नाम परिवार रजिस्टर में दूसरे राज्यों में भी चढ़े हुए है और ये वहां भी सरकारी सुविधाओं के लाभ उठा कर मौज काट रहे है। इस समस्या को ही जनसंख्या असंतुलन का मूल कारण माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है नागरिक दस्तावेजों में परिवार रजिस्टर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसमें परिवार की समस्त जानकारी दर्ज रहती है। जन्म मृत्यु से लेकर

निवास प्रमाणपत्र से लेकर अन्य प्रमाणपत्र उसी के आधार पर ग्राम पंचायत विभाग जारी करता है, इसी तरह शहर में निगम, परिषद आदि द्वारा भी नागरिक रजिस्टर मेनटेन किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के साथ साथ शहरी क्षेत्र में भी ऐसी गड़बड़ियां सामने आ रही है।

जानकारी के मुताबिक ऐसे ही मामले बिहार में मतदाता सूची में पकड़ में आए तब भारतीय निर्वाचन आयोग ने वहां एसआईआर लागू किया और फर्जी नामों को मतदाता सूची से बाहर किया।

उत्तराखंड सरकार को इस बड़ी समस्या के बारे में बड़ा निर्णय लेना होगा क्योंकि सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर दर्ज की गई शिकायतें इस ओर संकेत दे रही है कि परिवार रजिस्टरों में बहुत बड़ा गड़बड़झाला किया हुआ है।

जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत ,राजस्व विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने जब परिवार रजिस्टर के अवलोकन किए तो उन्हें भी हैरानी हुई कि इस पर जो चेक करने के मैकेनिज्म है वो ही त्रुटिपूर्ण है जिसका फायदा ग्राम प्रधानों ने उठाया है और सरकारी भूमि और सरकारी योजनाओं को खुर्दबुर्द करने के काम किए है।

बरहाल ये मामला शासन स्तर पर संज्ञान में आ गया है और धामी सरकार इस पर कोई ठोस निर्णय ले सकती है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में और अधिक गहनता से जांच पड़ताल करके इस पर कोई प्रभावी नीति बनाए जाने के लिए निर्देशित किया है।इस बारे में पूर्व नौकरशाहों और सामाजिक संगठनों के लोगों से राय मशविरा भी किया जा रहा है।