भुवन उपाध्याय
देहरादून। बड़ी ही सुखद एहसास कराने वाली खबर है .. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड में सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दिनों-दिन निजी अस्पतालों से भी बेहतर होती जा रही हैं। अब लोगबाग निजी अस्पतालों के बजाय सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों के पास उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। सरकारी अस्पताल के डाक्टर से उपचार के लिए मरीज उनका इंतजार करते नजर आ रहे हैं। चिकित्सक के नहीं मिलने पर अगले दिन उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। और तो और अपने ‘फेवरेट’ डॉक्टर के मिलने पर खुशी के मारे रोने लग रहे हैं।
जी हां… दिन मंगलवार, तारीख 15 जुलाई 2025 …. की लाइव घटना… एक महिला मरीज … नाम राजरानी… निवासी गोविंदगढ़ (देहरादून) … दून अस्पताल में वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ सुशील ओझा के कक्ष में प्रवेश करती है। और डाक्टर ओझा को पाकर जोर जोर से रोने लगती है। ‘क्रांति मिशन’ के द्वारा रोने की वजह पूछने पर महिला द्वारा बताया गया कि डॉक्टर ओझा के उपचार से वह बेहतर देख पा रही है। महिला ने बताया कि वह इलाज के लिए अन्य चिकित्सक के पास गई थी लेकिन उसे आराम नहीं मिला। जब डॉक्टर ओझा को दिखाया तो वह ठीक हो गई।
डॉ सुशील ओझा ने बताया कि उक्त महिला को काला मोतिया हो गया था। उनके पास आईं थीं। इलाज के बाद आंखें दुरूस्त होने से काफी एक्साइटेड हैं। अब जब भी अस्पताल आती हैं तो उनको ही आंखें दिखाना पसंद करती हैं।
अस्पतालों की सुधर रही ‘सेहत’
मुख्यमंत्री धामी और उनके कैबिनेट सहयोगी मंत्री धन सिंह रावत की लगातार मानीटरिंग से सरकारी अस्पतालों की ‘सेहत’ सुधर रही है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरान … सचिव स्वास्थ्य डॉ आर. राजेश कुमार, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ आशुतोष सयाना और दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या डॉ जैन द्वारा भी अपने अधीनस्थ चिकित्सकों की ओर से समय-समय पर दिए जाने वाले सुझावों पर ससमय कार्रवाई करने से भी सुधार हो रहा है।