उत्तराखंड : जल प्रलय के बाद आरएसएस पहुंचा जरूरतमंदों के पास … राशन किट्स के बाद अब मेडिकल कैंप का आयोजन

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क्रांति मिशन ब्यूरो

देहरादून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहला ऐसा गैर सरकारी संगठन है जिसके जिसके स्वयंसेवक सबसे पहले आपदा प्रभावित गांवों में पहुंच रहे हैं। उत्तरांचल दैवीय आपदा सहायता समिति के बैनर तले जल प्रलय से बुरी तरह से तबाह हुए ग्रामों में केवल आरएसएस के गणवेशधारी कार्यकर्ता ही नजर आए हैं। सबसे पहले संघ ने आपदा प्रभावितों को राशन किट्स पहुंचाई जिसमें दो सप्ताह की भोजन सामग्री थी उसके बाद आपदा प्रभावित लोगों की जरूरत का सामान पहुंचाया जा रहा है।

संघ के प्रांत प्रचारक डॉ शैलेन्द्र ने बताया कि समाज के विभिन्न वर्गों से एकत्र सहायता सामग्री को पहले देहरादून ऋषिकेश में एकत्र किया जा रहा है। उसके बाद उसे प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जा रहा है। आरएसएस के प्रांत कार्यवाह दिनेश जी सेमवाल ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों से स्वयंसेवक जरूरत के सामान की सूची भेजते है फिर उसे यहां एकत्र करके वहां लोगो तक भेजने की व्यवस्था की गई है। राहत सामग्री का दुरुपयोग न हो इसके लिए स्वयंसेवक खुद उसकी निगरानी करते है।

उल्लेखनीय है कि रुद्रप्रयाग जिले के अनेक गांवों में आपदा के कारण जन जीवन अस्त व्यस्त है। पिछले तीन दिनों से संघ के अपने स्वयंसेवक के सेवाभाव सेआपदाग्रस्त क्षेत्रों में प्रबंधन में जुटे हुए हैं।प्रतिदिन औसतन 4 स्थानों पर केंद्र बनाकर स्वयंसेवकों की टोलिया गांव गांव में सेवा कार्य कर रही है।

श्री सेमवाल ने बताया कि बहुत से स्थान ऐसे है जहां राहत सामग्री के वाहन नहीं पहुंच पा रहे है उन ऊंचे स्थानों पर भी अपने स्वयंसेवक पैदल कई किमी चल कर राहत सामग्री पहुंचा रहे है। उन्होंने बताया कि सरकार भी मदद कर रही है लेकिन अपनी टोलिया प्रशासन के साथ संवाद कर अपना सेवा कार्य कर रही है।

आरएसएस ने अपनी मेडिकल सुविधाएं भी आपदा प्रभावित स्थानों के पास सड़क पर मेडिकल वैन लगा कर रोगियों के लिए शुरू कर दी है। रोगियों को मेडिकल वाहन तक लाने ले जाने के लिए संघ स्वयंसेवक अपना सेवा कार्य कर रहे है। यदि किसी को दवा की जरूरत होती जोकि मेडिकल वाहन में उपलब्ध नहीं है तो उसे भी नजदीकी शहर से लाने का काम किया जा रहा है।

बहरहाल संघ के निस्वार्थ सेवा कार्यों की आपदा प्रभावित क्षेत्रों में इस लिए भी चर्चा हो रही है कि तमाम जोखिम के बावजूद स्वयंसेवक सुदूर पहाड़ी ग्रामों में भी पैदल और कांधे में राहत सामग्री लिए पहुंच रहे है।